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नैनीताल हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: बिना पंजीकरण वाले मदरसे ‘मदरसा’ नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे, सील मदरसों को शपथपत्र पर खोला जाएगा

Kashmiri muslim students of a Madrasa, Islamic religious school, pray during the month of Ramadan in Srinagar, Kashmir. Muslims around the world celebrate the holy month of Ramadan by praying during the night time and abstaining from eating, drinking, and sexual relations from sunrise to sunset. Ramadan is the 9th month in the Islamic calendar and it is believed that the Koran's first verse was revealed during its last 10 nights. (Photo by: Sajad Hameed/UCG/Universal Images Group via Getty Images)

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश में बिना पंजीकरण के चल रहे अवैध मदरसों को जिला प्रशासन द्वारा 14 अप्रैल 2025 को नोटिस देकर सील किए जाने के मामले में मदरसों की तरफ से दायर करीब 3 दर्जन से अधिक याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने निर्देश दिए कि बिना मदरसे बोर्ड की अनुमति के चल रहे मदरसे अपने नाम के ऊपर मदरसा न लिखें. क्योंकि वे मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड नहीं हैं. इसके बाद भी बिना रजिस्टर्ड के कोई मदरसा अपने नाम के ऊपर मदरसा लिखता है, तो जिला प्रशासन कार्रवाई कर सकता है.

खोले जाएंगे सील मदरसे: कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि जो मदरसे सील कर दिए गए थे, वे खोले जाएं. लेकिन वे अपना एक शपथपत्र सील करने वाली अथॉरिटी को इस आशय से देंगे कि वे इसमें कोई शिक्षण संबंधित कार्य नहीं करेंगे. इनमें क्या खोला जाएगा? उस पर निर्णय राज्य सरकार लेगी.

मकतब से जुड़े धार्मिक कार्य करने की इजाजत: हुई सुनवाई पर मदरसों की तरफ से कहा गया कि उनके द्वारा मदरसों को चलाने के लिए मदरसा बोर्ड में रजिस्ट्रेशन करने के लिए आवेदन किया गया है. जिसकी अनुमति अभी तक उन्हें नहीं मिली. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रदेश में अभी तक 416 मदरसें, मदरसे बोर्ड में पंजीकृत हैं. बाकी जो सील किए गए वे बिना अनुमति के चल रहे हैं. उनमें कई तरह की अनियमितताएं देखी गई. जिसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि इनको अनसील किया जाए. अगर ये अपने नाम के ऊपर मदरसा लिखते हैं तो उसके खिलाफ सील करने वाले अधिकारी नियमों के तहत कार्रवाई करें. हालांकि, ये उनमें मकतब से जुड़े धार्मिक कार्य कर सकते हैं.

मामले के अनुसार, मदरसा अब्बू बकर सिद्धकी, मदरसा जिनन्त उल कुरान, मदरसा दारुल उल इस्लामिया समेत 33 से अधिक सील मदरसों ने उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर कर कहा है कि जिला प्रशासन ने बिना नियमों का पालन करते हुए प्रदेश में करीब तीन दर्जन से अधिक मदरसों को 14 अप्रैल 2025 को सील कर दिया. जबकि मदरसों में शिक्षण संस्थान चल रहे थे.

इसका विरोध करते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि ये मदरसे अवैध रूप से चल रहे थे. इनका पंजीकरण मदरसे बोर्ड में नहीं हुआ है. इनमें शिक्षण, धार्मिक अनुष्ठान और नमाज भी हो रही है. ये सभी किसी व्यक्ति विशेष या अन्य के द्वारा संचालित हो रहे हैं. इसलिए इन्हें सील किया गया. जो मदरसे पंजीकृत थे, उनको प्रशासन ने सील नहीं किया. उनको सरकार की तरफ से मिलने वाला अनुदान मिल रहा है.

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