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हिमाचल प्रदेश के स्टोन क्रेशर प्लांट से अवैध रूप से नदी के रास्ते लाई जा रही खनन सामग्री,करोड़ों का स्टेट टैक्स चोरी, रवन्नो का बड़ा खेल

विकासनगर तहसील क्षेत्र के ढालीपुर यमुना नदी के ठीक सामने हिमाचल प्रदेश के पांवटा में लगे क्रेशर प्लांटों से धुली बजरी और रोड़ी दिन-रात ट्रैक्टरों के जरिए बीच यमुना नदी में बनाए गए अवैध रैम्प तक लाई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि इसी रैम्प से बड़े-बड़े डंपरों को भरा जाता है,लेकिन कागज़ों में इस अवैध खनन को उत्तराखंड की यमुना नदी का दिखाया जा रहा है इस पूरे खेल में उत्तराखंड माइनिंग विभाग के स्टेट टैक्स (₹8 प्रति कुंतल) की सीधे-सीधे चोरी हो रहा करोड़ों का राजस्व नुकसान,आवैध खनन पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करने वाली खनन विभाग की टीम भी बनी मूकदर्शक।

दूसरा भीमावाला क्षेत्र में कोई खनन पट्टा संचालित नहीं है बावजूद इसके भीमावाला से सैकड़ो ट्रैक्टर ट्रॉली अवैध रूप से खनन सामग्री का चुगान कर भीमावाला पुल से परिवहन कर रहे हैं आखिर इनको रवन्ना कौन उपलब्ध करा रहा है, सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बंद पड़े खनन पट्टे का संचालक 600 रुपए चक्कर के हिसाब से वसूल रहा है यानी कि यमुना नदी में 10.50 किलोमीटर के क्षेत्रफल में ढालीपुर से लेकर भीमावाला पुल तक खुली खनन सामग्री की लूट चल रही है अवैध रूप से दूसरे राज्य हिमाचल प्रदेश पांवटा साहिब में लगे क्रेशर प्लांटों से नदी के रास्ते खनन सामग्री परिवहन की जा रही है जिनको उत्तराखंड का एक रमन्ना दिया जा रहा है और 10 से 12 चक्कर इस एक रमन ने पर निकल जा रहे हैं प्रारंभिक अनुमान के अनुसार इस अवैध खनन और फर्जी बिलिंग से माइनिंग विभाग को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो चुका है यह हो नहीं सकता कि माइनिंग विभाग को इस पूरे खेल की जानकारी न हो सब प्रतीत होता है कि यह सब कुछ जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है? आखिर किसके संरक्षण में यमुना नदी के बीच रैम्प बनाकर खुलेआम लूट की जा रही है?

स्थानीय लोगों और जागरूक नागरिकों की मांग है कि—
यमुना नदी में आखिर कितने खनन पट्टे आवंटित हैं सभी संबंधित पट्टा धारकों की तत्काल जांच हो जिन पट्टा धारकों ने अपने खनन पट्टे के पोर्टल नहीं खुलवाए हैं वह किस अधिकार से खनन सामग्री का चुगान करवा रहे हैं और किसने उनको यह अधिकार दिया है की हिमाचल प्रदेश के स्टोन क्रेशर प्लांट से यमुना नदी के रास्ते अवैध रूप से खनन सामग्री का परिवहन करें और उत्तराखंड सरकार की आंखों में धूल झोंक कर रोजाना लाखों करोड़ों रूपए राजस्व चूना लगाएं।

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