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जिम्मेदारों की भू माफियाओं से सारी सरकारी जमीनों पर पड़ रही भारी

जिम्मेदारों की भू माफियाओं से सारी सरकारी जमीनों पर पड़ रही भारी

विकासनगर -पिछले काफी समय से लगातार बाहरी प्रदेश के अपराधिक प्रवृत्ति के लोग उत्तराखंड की शांत वादियो में पलायन कर रहे हैं जिसमें पछवादून उक्त लोगों के निशाने पर है पछवादून क्षेत्र यमुना घाटी जल विद्युत परियोजना एवं सीमावर्ती क्षेत्र व इंडियन मिलिट्री अकादमी होने की वजह से बेहद ही संवेदनशील है, बाहरी प्रदेश से आए लोग लगातार यमुना घाटी जल विद्युत परियोजना की खाली पड़ी जमीन एवं नदी नालों खालो, प्रतिबंधित बॉक्सा जनजाति की भूमि पर अवैध रूप से तहसील प्रशासन के कर्मचारियों से मिलकर अतिक्रमण कर रहे हैं जिसमें क्षेत्रीय पटवारीयो की भूमिका अहम है। नियम अनुसार बॉक्सा जनजाति की भूमि किसी सामान्य व्यक्ति के नाम नहीं चढ़ सकती परंतु उक्त सभी नियमों की तहसील विकासनगर में खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं । पिछले काफी समय से शिमला बायपास रोड एवं विकासनगर तहसील क्षेत्र अंतर्गत कई हजार बीघा बॉक्सा जनजाति की भूमि बाहरी प्रदेश के भूमाफियाओं की भेंट चढ़ गई यदि उक्त प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर ली जाए तो कई कर्मचारी एवं अधिकारी जेल की सलाखों के पीछे होंगे शंकरपुर हुकूमतपुर कि जमीनों पर भी भूमाफियों के अवैध कब्जे किये जा रहें हैं ।

ऐसा ही एक प्रकरण ढालीपुर पावर हाउस से लगती सैकड़ो बीघा भूमि पर बाहरी प्रदेश के भूमाफिया ने सरकारी ढांग काटकर संवेदनशील बैराज से लगती भूमि पर अवैध कब्जा कर प्लाटिंग काटकर बेच दी गई है एवं फार्म हाउस का निर्माण कर लिया गया जिसकी सूचना समय-समय पर जिला अधिकारी देहरादून उप जिलाधिकारी कार्यालय विकासनगर एवं क्षेत्रीय पटवारी को दी परंतु बाहरी प्रदेश के भूमाफीयाओ से जिम्मेदार विभागों की सांठगांठ एवं किसी रिटायर तहसीलदार की धौस के चलते सैकड़ों बिघा सरकारी ढांग ग्राम पंचायत की मिली जुली भूमि पर तहसील प्रशासन की चुप्पी के चलते आवैध कब्जे हो गए और जिम्मेदार हाथ पर हाथ रख कर देखते रहे। यदि कोई गरीब व्यक्ति छोटी सी झोपड़ी बना ले तो पूरा सरकारी अमला अपने लाव लश्कर के साथ गरीब का उत्पीड़न करने उसकी झोपड़ी तोड़ने पहुंच जाता हैरानी की बात है कि मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए एक तरफ मुख्यमंत्री सभी विभागों को सरकारी भूमियों को कब्जा मुक्त करने के निर्देश दे रहे हैं वहीं ऐसा लगता है कि एक प्रदेश में दो कानून लागू है गरीबो के लिए अलग आमिरों के लिए अलग। देखना यह होगा कि उक्त रिटायर तहसीलदार की दबंगई के चलते बाहरी प्रदेश के भूमाफिया उक्त सरकारी ढांग की सैकड़ो बिधा भूमि पर काबिज रहता है या फिर जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों का कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होता है।

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