देहरादून: प्रदेश में करीब 1500 ऐसे स्थान हैं, जहां 3000 से अधिक सरकारी विद्यालयों का विलय होना है। एक परिसर में अलग-अलग संचालित हो रहे इन विद्यालयों को जल्द एकीकृत किया जाएगा। शासन को इस संबंध में शिक्षा विभाग का प्रस्ताव मिल चुका है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने शिक्षकों की मांगों को देखते हुए विलय का फार्मूला तय कर प्रस्ताव पर जल्द निर्णय करने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में एक ही स्थान पर संचालित होने वाले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों, राजकीय हाईस्कूलों और इंटरमीडिएट कालेजों के चिह्नीकरण के निर्देश विभागीय मंत्री ने दिए थे। इस कार्य के लिए विभाग ने दो अधिकारियों की समिति गठित की थी।
समिति ने विद्यालयों के चिह्नीकरण का कार्य पूरा कर लिया है। शिक्षा महानिदेशक के माध्यम से इस संबंध में प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। शासन ने प्रस्ताव का परीक्षण शुरू कर दिया है। अब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती विद्यालयों के विलय के लिए सर्वसम्मत फार्मूला तलाश करने की है। यह फार्मूला नहीं होने की वजह से अब तक एक ही परिसर में चलने वाले विद्यालयों को एकीकृत करने के शासनादेश का पालन नहीं किया जा सका है। पिछले कई वर्षों से यह कसरत चल तो रही है, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। विलय को लेकर मौजूदा पेच को सुलझाए बगैर शिक्षकों के संगठन ही इस आदेश के आड़े आ चुके हैं।
विद्यालयों के एकीकरण के पक्ष में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षक नहीं हैं। उन्हें अपने पदोन्नति के अवसरों में कटौती की चिंता है। साथ ही विद्यालय पर नियंत्रण माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक अथवा प्रधानाचार्य का होगा। उनका तर्क है कि विद्यालयों के उच्चीकरण से उनकी पद स्थापना और पदोन्नति के अवसरों पर विपरीत असर हुआ है। उच्चीकरण के बाद विद्यालयों की संख्या घट रही है। प्राथमिक शिक्षकों का समूह सबसे बड़ा कार्मिक संगठन भी है। ऐसे में शासनादेश भी फाइलों में ही दबे रहने को मजबूर है।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि सरकार का वन कैंपस वन स्कूल को लेकर नजरिया एकदम साफ है। अलग-अलग विद्यालयों के संचालन से शिक्षा की गुणवत्ता पर तो असर पड़ ही रहा है, खींचतान के कारण शैक्षिक माहौल को बेहतर बनाने में दिक्कत पेश आ रही है। उन्होंने शिक्षा सचिव को इस मामले में त्वरित निर्णय लेने को कहा है।