उत्तराखंड की नदियों में ज्यादातर खनन पट्टे गढ़वाल मंडल विकास निगम के द्वारा आवंटित किए गए हैं इसमें सरकार द्वारा खनन पट्टा संचालकों के लिए खनन कार्य करने के मानक निर्धारित किए गए हैं लेकिन वही दूसरी और देखा जा रहा है कि खनन पट्टा संचालक सभी मानकों को ताक पर रखकर और सभी नियमों की धज्जियां उड़ा कर खनन पट्टे से खनन करवा रहें हैं।
आपको बता दें कि तहसील विकासनगर के अंतर्गत शीशमबाड़ा परवल क्षेत्र की आसननदी में जीएमवीएन के द्वारा में एक खनन पट्टा आवंटित किया गया है जिसमें पट्टा संचालक ज्यादा मुनाफा कमाने की नियत से सभी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए निर्धारित मानकों को ताक पर रखकर आसन नदी से खनन कार्य कराया जा रहा है। नदी में सरकार द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक 10 फीट से भी ज्यादा की गहरी खुदाई कर खनन का कार्य किया जा रहा है और रात के अंधेरे में भी खनन पट्टे का संचालन किया जा रहा है जबकि नियम यह है कि सूर्य अस्त से सूर्य उदय तक खनन पट्टे से किसी प्रकार का खनन कार्य नहीं किया जा सकता है इससे सरकारी राजस्व के साथ-साथ आसन नदी को भी हानि पहुंचाई जा रही है जिसके परिणाम आने वाली बरसात में उठाने पड़ सकते हैं बेतरतीब तरीके से नदी को खोदा जा रहा है जिससे बरसात के दिनों में किसानों की भूमि कटाव की समस्या भी उत्पन्न हो जाएगी।
दूसरा सबसे हैरत करने वाली बात यह है कि उक्त खनन पट्टे से खनन सामग्री ले जाने वाले वाहनों का कोई तोल कांटा भी नहीं किया जा रहा है क्योंकि तोल कांटे के चारों और की खनन सामग्री को खोदकर बेच दिया गया है अब तोल कांटा लगभग 5 फीट की ऊंचाई पर लटका हुआ है अब जो वाहन उक्त खनन पट्टे से खनन सामग्री भरकर ले जाते हैं उसको पट्टा संचालक किस आधार पर वजन कर रवान्ना काट कर देता है यह भी जांच का विषय है मानों उक्त पट्टा संचालक के लिए कोई नियम कानून किसी भी तरह के मानक कुछ भी मायने नहीं रखते हैं।
जीएमवीएन ने एक बार पट्टा आवंटित कर दिया और फिर उसके बाद उसकी क्या यह देखने की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है कि पट्टा संचालक तय मानकों और निर्धारित नियमों के अनुसार खनन का कार्य कर रहा है या नहीं आखिर प्रशासन और संबंधित विभाग के अधिकारी और कर्मचारी क्यों किसी तरह की कोई कार्यवाही इस पट्टा संचालक पर नहीं कर रहे हैं। कहने को तो एक बड़ा सरकारी अमला कई विभागों के साथ-साथ पुलिस प्रशासन भी खनन कार्यों पर निगरानी, नियंत्रण और कार्यवाही करने को तय किया गया है लेकिन?
रिपोर्ट-राजिक खान