देहरादून: डीजीपी अशोक कुमार ने मंगलवार को सभी जिलों के पुलिस प्रभारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की. इस दौरान प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर समेत इनामी बदमाशों को पकड़ने और भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने को लेकर पुलिस अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए. इसके साथ ही डीजीपी अशोक कुमार ने उन पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को भी सख्त हिदायत दी है, जो सोशल मीडिया पर रील्स बना रहे हैं. हाल ही में ईटीवी भारत ने इसको लेकर एक खबर भी प्रकाशित की थी, जिसका संज्ञान डीजीपी अशोक कुमार ने लिया था.
न्यूज़ इंडिया 24 यूके ने हाल ही में एक खबर प्रकाशित की थी कि कैसे उत्तराखंड पुलिस के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों को सोशल मीडिया पर रील्स बनाने के चस्का लग गया। यही कारण है कि अब डीजीपी अशोक कुमार ने ऐसे पुलिसकर्मियों पर थोड़ी सख्ती बरती है और उन्हें सोशल मीडिया पर रील्स नहीं बनाने की हिदायत दी है. डीजीपी अशोक कुमार ने साफ किया है कि कोई भी पुलिसकर्मी सोशल मीडिया पर पुलिस की छवि खराब नहीं करेगा. निर्देशों का अनुपालन न करने पर आवश्यक विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा बैठक में डायल 112 के माध्यम से एमडीटी (मोबाइल डाटा टर्मिनल) पर प्राप्त होने वाली सूचनाओं पर जल्द कार्रवाही करने और रिस्पॉन्स टाइम को बेहतर करने के लिए निर्देशित किया गया. सीसीटीएनएस सहित नवीन तकनीकों (New Technology) से सम्बन्धित कोर्सेज के मॉड्यूल तैयार कर सभी पदोन्नति प्रशिक्षणों में इनका प्रशिक्षण दिया जाएगा.
उत्तराखंड शासन द्वारा पुरस्कार राशि पुनरीक्षण के अनुसार ही इनामी अपराधियों पर इनाम की धनराशि घोषित की जाए. सभी जनपद प्रभारियों को सरकारी और निजी भूमि व भवनों पर अवैध कब्जा करने वाले भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया. ऐसे भूमाफियाओं को चिन्हित कर उनके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करते हुए गुण्डा एक्ट के अन्तर्गत जिला बदर, गैगस्टर एक्ट के अन्तर्गत कार्रवाई करते हुए अवैध रूप से अर्जित की गयी संपत्ति का अधिग्रहण करने के निर्देश दिए गए.
डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि उत्तराखंड पुलिस एप स्मार्ट पुलिसिंग की ओर एक बड़ा कदम है. आम जन को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य यह ऐप बनाया गया है. सभी जनपद प्रभारी इस एप का व्यापक प्रचार-प्रसार करें, जिससे अधिक से अधिक लोग इसकी सुविधाओं का लाभ उठा सकें. यह पीपल फ्रेंडली और पारदर्शी पुलिसिंग की ओर एक बड़ा कदम है.
एप के माध्यम से घर बैठे ही वाहन चोरी और गुमशुदा वस्तुओं के संबंध में ई-एफआईआर दर्ज कराने की सुविधा है. इनकी ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करें. इस संबंध में थाने पर आकर एफआईआर दर्ज कराने आने वाले व्यक्ति को ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रोत्साहित करें. दोनों प्ररिक्षेत्र प्रभारी इसकी प्रतिदिन मॉनिटरिंग करें. साथ ही भविष्य में वाहन चोरी और गुमशुदा वस्तुओं के संबंध में ऑफलाइन एफआईआर दर्ज करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी.