महासू देवता हमारे आराध्य देव है, लाखों करोड़ों भक्त हनोल मंदिर के हर साल करते हैं दर्शन
मंदिर समिति में परिवर्तन की उठी मांग
हनोल मंदिर में अव्यवस्थाओं से नाराज स्थानीय लोगों ने कालसी तहसील परिसर में पहुंचकर एक ज्ञापन के माध्यम से आरोप लगाएं कि मंदिर समिति द्वारा अभी तक कोई ठोस रखरखाव की व्यवस्था नहीं की गई है एकत्रित लोगों ने कहा कि महासू देवता हमारे आराध्य देव है तथा पूरे राज्य देश व विदेशों तक लोगों में आस्था है। लाखों करोड़ों भक्त हनोल मंदिर के हर साल दर्शन करते हैं।
जब समिति का गठन हुआ था तो क्षेत्रवासियों की मांग थी की मंदिर के कोष से वैदिक विद्यालय (गुरुकुल) खुलेगा। यहां एक अच्छा हॉस्पिटल खुलेगा तथा गोशाला खुलेगी। लेकिन पिछले चौबीस वर्ष से ये कुछ नहीं हो पाया।
समिति मंदिर के आसपास चार महासु की पवित्रता भी रखती है लगातार देव बकरो का मरना। मंदिर के पास गंदगी फैलना दुख का विषय है लेकिन मेद्रय बासिक महाराज के देव बकरों की घोरी करने वालो को दंडित नहीं किया गया। उस विषय में अभी तक समिति द्वारा भी स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया है। भंडारे की व्यवस्था मात्र रात्रिभोज की है जबकी हजारों श्रद्धालु दिन में दर्शन करते हैं दिन में कोई भी तीन भंडारे की व्यवस्था नहीं है। रहने के लिए मात्र एक संराह बनी है जबकी अन्य लोगों को खुले मैदान में छोटे छोटे बच्चों के साथ सोना पड़ता है।
समिति के अनुरूप दिन में भी भंडारे की व्यवस्था की जाए। व्यापक सदस्यता अभियान चलाया जाए तथा जौनसार बावर के उच्च अधिकारी व 39 खत स्याणा व विधायक व पूर्व विधायक व जन प्रतिनिधि समस्त सामाजिक कार्यकर्ता किसान बंधुओं को अस्थायी सदस्य बनाने के लिए अभियान चलाया जाए। अधिक सदस्यता होगी तो सदस्य का शुल्क अधिक आएगा जिस कारण यहां का समग्र विकास हो पाएगा।
महासू देवता हमारे आराध्य देव है इसकी पवित्रता रखना हम सब का परम कर्तव्य है। मंदिर के अन्दर जो दूध आता है। पनीर आता है। त्यूनी से दुकार्नो से आता है तथा त्युनी में अत्यधिक दूध और पनीर सप्लाई करने वाले विशेष समुदाय के लोग हैं। जिससे हमारी धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। जिसके लिए तत्काल एक गोशाला खोली जाएँ जिससे आवारा पशुओं से भी निजात मिलेगा तथा गौ माता का शुद्ध दूध भी मंदिर के अंदर आएगा।
जौनसार बावर के इच्छुक संस्कृत शास्त्री करने वाले छात्रों को पुरोला या हरिद्वार के चक्कर लगाने पड़ते हैं। निर्धन छात्र पूरा ला या हरिद्वार नहीं जा सकते, आपसे निवेदन है तत्काल एक गुरुकुल खोला जाए जिससे हिमाचल उत्तराखंड तथा अन्य जगह के संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को लाभ मिलेगा।
राजधानी देहरादून से हनोल करीब 300 km दूर है। यहां पर हॉस्पिटल की बडी कमी है मंदिर के कोष से सुंदर हॉस्पिटल खोला जाए तथा प्रशिक्षित डॉक्टरों को नियुक्त किया जाए जिस कारण क्षेत्र के लोगों को सुविधा मिलेगी तथा देहरादून आदि के चक्कर नहीं काटने पड़ेगे व लोगों की जान बचेगी।
महासु देवता मंदिर हनोल में आस्था के लिए देव बकरों को परिसर में छोड़ते हैं लेकिन नवजात शिशु बच्चा ना छोड़ा जाएं। क्योंकि मंदिर समिति बच्चे को दूध पिला नहीं सकती तथा वो पत्ती खा नहीं सकता जिस कारण जल्द ही उसकी मृत्यु हो जाती है। तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगे तथा गेट पर एक बोर्ड लगाया जाए। कि छोटे बकरी के बच्चों को मंदिर परिसर में छोड़ना सख्त मना है।
सभी बिंदुओं पर गहनता से विचार कर कार्रवाई करने की मांग उठाई तथा जो पुराने सदस्य हैं उन सभी को हटाकर नए सदस्यों को मौका दिया जाने की भी बात कही।