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सरकार के कोरोना कर्फ्यू बढ़ाने के विरोध में व्यापारियों ने किए जगह-जगह प्रदर्शन

हरिद्वार जिला व्यापार मंडल हरिद्वार (गुलाटी) के आह्वान पर मंगलवार शाम को शहर अध्यक्ष कमल बृजवासी के नेतृत्व में शहर के व्यापारियों ने प्रतिष्ठानों के बाहर खड़े होकर थाली बजाकर विरोध जताया। व्यापारियों ने प्रदेश सरकार द्वारा कोविड कफ्र्यू में व्यापारियों को किसी प्रकार की राहत न दिए जाने और बाजार न खोलने पर अपना विरोध जताया।

जिलाध्यक्ष सुरेश गुलाटी ने कहा पिछले डेढ़ साल से हरिद्वार का व्यापारी कोरोना महामारी का दंश झेल रहा है। पर्यटक केंद्र होने के कारण हरिद्वार का समस्त व्यापार आने वाले श्रद्धालु और तीर्थयात्रियों पर निर्भर है। परंतु कोरोना महामारी के कारण ट्रेनों के स्थगित होने से और बॉर्डर पर कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव होने की बाध्यता तथा समस्त व्यापार के बंद होने से हरिद्वार का व्यापारी भिखारी बनकर रह गया है।

हल्द्वानी : सरकार के कोरोना कर्फ्यू बढ़ाने व कारोबारियों को राहत न देने के विरोध में व्यापारियों ने मंगलवार को हाथ पर कटोरा रख भीख मांगकर एसडीएम कोर्ट पर प्रदर्शन किया। व्यापारियों ने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से सीएम तीरथ सिंह रावत को ज्ञापन भेजकर बाजार खोलने का निर्णय जल्द लेकर कारोबारियों को राहत देने की मांग की।

देवभूमि उद्योग व्यापार मण्डल के पदाधिकारी व सदस्य मंगलवार दोपहर एसडीएम कोर्ट पर जुटे। सभी अपने साथ खाली कटोरा लेकर आए थे। यहां उन्होंने हाथ पर कटोरा रखकर सांकेतिक प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया। संगठन के प्रदेश महामंत्री राजकुमार केसरवानी ने कहा कि पिछले सवा साल से कारोबार पर कोरोना संक्रमण की मार पड़ रही है।

पिछले साल लॉकडाउन की वजह से महीनों तक कारोबार ठप रहे। अनलाक लगने के बाद धीरे-धीरे कारोबारी पटरी पर आने लगे तो इस साल फिर कोरोना कफ्यू लगा दिया गया। सरकार लगातार कोरोना कफ्यू की अवधि बढ़ाती जा रही है।

ऐसे में कारोबारियों के सामने कटोरा लेकर भीख मांगने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है। कारोबारी व परिवार गंभीर आर्थिक संकटों जूझ रहे हैं। बिजली-पानी बिल, बैंक कर्ज व किराया चुकाना दूर, कारोबारियों के सामने दाल-रोटी तक का संकट खड़ा हो चुका है। सरकार लगातार कारोबारियों की पीड़ा को नजरअंदाज कर कोरोना कफ्यू बढ़ाती जा रही है। ऐसे में कारोबारियों के सामने करो या मरो की स्थिति खड़ी हो चुकी है। व्यापारियों ने कहा कि अगर जल्द सरकार ने निर्णय नहीं लिया तो वह आदेशों की परवाह किए बिना खुद अपने प्रतिष्ठान खोलने को मजबूर हो जाएंगे।

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