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खबर का असर:कालसी वन प्रभाग क्षेत्र में हो रहे हजारों पेड़ों के कत्लेआम की जांच पर पहुंचे फॉरेस्ट कंजरवेटर

राजधानी देहरादून के कालसी वन प्रभाग क्षेत्र में सैकड़ों बीघा भूमि पर साल की हजारों वृक्षों के अवैध कटान की खबर प्रकाशित होने पर जांच को पहुंचे फॉरेस्ट कंजरवेटर।

आपको बता दें कि कालसी वन प्रभाग के क्षेत्र बाढ़ वाला राजा वाला में पिछले कई महीनों से साल के हजारों वृक्षों को बिना अनुमति काटकर ठिकाने लगाया जा रहा था जिस संबंध में न्यूज़ इन ने एक खबर प्रमुखता से प्रसारित की थी जिसमें उत्तराखंड प्रमुख वन संरक्षक से भी मुलाकात कर प्रकरण से अवगत कराया गया था जिसमें प्रमुख वन संरक्षक के द्वारा 3 दिन के भीतर जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करने के आदेश पारित किए गए थे उक्त प्रकरण पर जांच करने हेतु आज बुधवार को शिवालिक कंजरवेटर अखिलेश तिवारी के पहुंचने पर वन विभाग में हड़कंप मच गया।

मौके पर अखिलेश तिवारी ने पहुंच कर उक्त जगह का निरीक्षण किया और मीडिया से मुखातिब होकर बताया कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी और इस संबंध में तहसील विभाग से भी संपर्क कर भूमि का डीमार्केशन करवाया जाएगा तिवारी जी ने उक्त भूमि पर कटे पेड़ों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी की है।

वही समाजसेवी शिकायतकर्ता नरेश कुमार कुमार के द्वारा बताया गया कि एक भूस्वामी के द्वारा अपनी निजी भूमि की आड़ में ग्राम समाज और जंगलात विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर बिना विभागीय अनुमति के साल के हजारों पेड़ों का कटान कर ठिकाने लगा दिया गया है और आगे भी ठिकाने लगाने का काम जारी है जैसा कि मौके की वीडियो में साफ दिख रहा है कि साल के हजारों हरे भरे वृक्षों को काट कर ठिकाने लगाने का काम उक्त भूस्वामी के द्वारा किया गया है और सैकड़ों की तादाद में पेड़ वहीं पर कटे पड़े है और सैकड़ों पेड़ों के कटे हुए ठुड सामने खड़े नजर आ रहे हैं और नरेश कुमार तोमर के द्वारा यह भी बताया गया है कि यदि जंगलात विभाग उक्त प्रकरण पर निष्पक्ष जांच कर उचित कार्यवाही नहीं करता हैं तो इस मामले को लेकर वह उत्तराखंड राज्यपाल और माननीय उच्च न्यायालय में भी जाने से गुरेज नहीं करेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति से भी उक्त प्रकरण की शिकायत की जाएगी।

अब देखना यह होगा कि जंगलात विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा उक्त प्रकरण पर और दोषियों के खिलाफ किस प्रकार की कार्यवाही की जाती है।
वैसे सोचने वाली बात यह है कि पिछले लगभग 8 महीनों से लगातार अवैध पाटन का कार्य जारी है और लकड़ियों को भी गाड़ियों में भरकर ठिकाने लगाया जा रहा है और वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं

ऐसा संभव नहीं है क्योंकि वहीं से मात्र कुछ मीटर की दूरी पर बाढ़ वाला जंगलात बैरियर चौकी है और थोड़ी और आगे चलने पर जलालिया जंगलात बैरियर चौकी पड़ती है और उन चौकियों पर विभाग ने अपने कर्मचारियों को तैनात भी किया हुआ है आखिर वह तैनात कर्मचारी व अधिकारी इतने बड़े प्रकरण से क्यों अनभिज्ञ रहे यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है।

मु.संपादक-राजिक खानhttps://youtu.be/2FO2ZrbD9Ko

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