1965 के युद्ध में पाकिस्तान के हौसले पस्त करने वाले वीर अब्दुल हमीद आज के ही दिन शहीद हुए थे। जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें।
हाइलाइट्स:
परमवीर चक्र से सम्मानित अब्दुल हमीद का शहादत दिवस आज
1965 के युद्ध में पाकिस्तानी के आठ वैसे टैंक उड़ाए थे जिन्हें तब अपराजेय कहा जाता था
अब्दुल हमीद ने अपने चीप में लगे रिकॉयलेस गन से पाकिस्तानी तोपों को ध्वस्त कर दिया
वीर अब्दुल हमीद की जीप पाकिस्तानी टैंक की फायरिंग की जद में आ गई थी
नई दिल्ली
भारत को 1947-49 के दौरान पाकिस्तान के साथ हुए कश्मीर वॉर में अपने कई सैनिकों से हाथ धोना पड़ा था। तब पाकिस्तान को लगा कि भारत उसकी सैन्य क्षमता के आगे काफी कमजोर है। पाकिस्तान ने इसी गलतफहमी में 1965 में एक बार फिर से युद्ध छेड़ दिया जिसका भारत से मुंहतोड़ जवाब मिला। इस युद्ध में वीर अब्दुल हमीद हीरो के रूप में उभरे। भारतमाता के इस लाल ने जीप से पाकिस्तान के वो आठ टैंक ध्वस्त कर दिए जिन्हें उस वक्त अपराजेय माना जाता था। हमीद ने जंग के मैदान में ही 10 सितंबर, 1965 को वीरगति प्राप्त की थी। आज उनका शहादत दिवस है। इस मौके पर उन्हें जरूर याद किया जाना चाहिए।
यूपी के गाजीपुर के थे अब्दुल हमीद
अब्दुल हमीद उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धरमपुर गांव में 1 जुलाई, 1933 को पैदा हुए थे। उनके पिता मोहम्मद उस्मान सिलाई का काम करते थे, लेकिन हमीद का मन इस काम में नहीं लगता था। उनकी रुचि लाठी चलाना, कुश्ती का अभ्यास करना, नदी पार करना, गुलेल से निशाना लगाना जैसे कामों में थी। वह लोगों की मदद के लिए भी हमेशा आगे रहते थे।
छुट्टी बीच में छोड़कर जंग में गए थे हमीद
जानकारियां मिलती हैं कि उन्होंने बाढ़ के पानी में डूबती दो लड़कियों की जान बचाई थी। 20 साल की उम्र में अब्दुल हमीद ने वाराणसी में आर्मी जॉइन की। उन्हें ट्रेनिंग के बाद 1955 में 4 ग्रेनेडियर्स में पोस्टिंग मिली। 1965 में जब युद्ध के आसार बन रहे थे तब वह छुट्टी पर अपने घर गए थे, लेकिन हालत गंभीर होने पर उन्हें वापस आने का आदेश मिला। बताते हैं कि बिस्तरबंद बांधते वक्त इसकी रस्सी टूट गई तो उनकी पत्नी रसूलन बीबी इसे अपशकुन मानकर उन्हें उस दिन जाने नहीं देना चाहती थीं, लेकिन हमीद थे कि फर्ज के आगे रुके नहीं।
जीप से ध्वस्त कर दिए थे पाकिस्तानी टैंकर
वीर अब्दुल हमीद पंजाब के तरनतारण जिले के खेमकरण सेक्टर में पोस्टेड थे। पाकिस्तान ने उस समय के अमेरिकन पैटन टैंकों से खेमकरण सेक्टर के असल उताड़ गांव पर हमला कर दिया। उस वक्त ये टैंकर्स अपराजेय माने जाते थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब्दुल हमीद की जीप 8 सितंबर 1965 को सुबह 9 बजे चीमा गांव के बाहरी इलाके में गन्ने के खेतों से गुजर रही थी। वह जीप में ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठे थे। उन्हें दूर से टैंकर आने की आवाज सुनाई दी। कुछ देर बाद उन्हें टैंक दिख भी गए। वह टैंकों के अपनी रिकॉयलेस गन की रेंज में आने का इंतजार करने लगे और गन्नों की आड़ का फायदा उठाते हुए फायर कर दिया।
पाक टैंकर ने बना लिया निशाना
अब्दुल हमीद के साथी बताते हैं कि उन्होंने एक बार में 4 टैंक उड़ा दिए थे। उनके 4 टैंक उड़ाने की खबर 9 सितंबर को आर्मी हेडक्वार्टर्स में पहुंच गई थी। उनको परमवीर चक्र देने की सिफारिश भेज दी गई। इसके बाद कुछ ऑफिसर्स ने बताया कि 10 सितंबर को उन्होंने 3 और टैंक नष्ट कर दिए थे। जब उन्होंने एक और टैंक को निशाना बनाया तो एक पाकिस्तानी सैनिक की नजर उन पर पड़ गई। दोनों तरफ से फायर हुए। पाकिस्तानी टैंक तो नष्ट हो गया, लेकिन अब्दुल हमीद की जीप के भी परखच्चे उड़ गए।
जानकारी देर से मिलने की वजह से ऑफिशल साइटेशन में सुधार नहीं हो सका। अब्दुल हमीद को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 28 जनवरी, 2000 को भारतीय डाक विभाग ने वीरता पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में पांच डाक टिकटों के सेट में 3 रुपये का एक डाक टिकट जारी किया। इस डाक टिकट पर रिकॉयलेस राइफल से गोली चलाते हुए जीप पर सवार वीर अब्दुल हामिद की तस्वीर बनी हुई है।