प्रदेश में इन दिनों अधिकतर विभागों में तबादलों की प्रक्रिया चल रही है। एक्ट के मुताबिक दस जुलाई से पहले तबादले होने हैं, लेकिन भाजपा सरकार की बड़ी उपलब्धियों में शामिल एक्ट विभाग के कुछ मंत्रियों को ही रास नहीं आ रहा। वे विभागों को एक्ट के दायरे से मुक्त रखने की तैयारी में हैं।
तबादलों में मनमानी पर रोक और पारदर्शिता के लिए 2017 में तबादला एक्ट लागू किया गया। एक्ट में वार्षिक तबादलों के लिए समय-सारणी तय है, इसके बावजूद एक्ट को दरकिनार कर कुछ विभागों में पूरे साल तबादलों का सिलसिला जारी रहा। अब कुछ विभागों को एक्ट के दायरे से बाहर किए जाने की तैयारी है।
प्रदेश के अटल उत्कृष्ट स्कूलों के शिक्षकों को एक्ट के दायरे से बाहर किए जाने की सिफारिश मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति कर चुकी है। इन शिक्षकों के लिए अलग से नियमावली बननी प्रस्तावित है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग को भी एक्ट के दायरे से बाहर रखने की तैयारी है। इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जा रहा है।
विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाएं आवश्यक सेवाओं के तहत आती हैं। जहां चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ का स्थानांतरण जरूरत के अनुसार करना पड़ता है। विभाग के एक्ट के दायरे में आने से तबादलों में दिक्कत पैदा होती है।
जबकि वन और तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल के मुताबिक प्राविधिक शिक्षा और वन विभाग में अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यक्षमता के अनुसार तबादले होंगे। कार्यक्षमता के अनुसार तय होगा कि किसे कहां जाना है। हालांकि उन्हें यह भी कहा कि इसमें एक्ट का भी पालन किया जाएगा।
शिक्षा विभाग में अधिकारियों को तबादला एक्ट से बाहर रखे जाने के प्रयास किए जा चुके हैं। पूर्व में शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को इसका प्रस्ताव भेजा गया था, जो लंबित है।
तबादलों में अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य क्षमता देखी जाएगी। इसी के आधार पर उन्हें इधर से उधर किया जाएगा। (-सुबोध उनियाल, वन मंत्री)