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व्हाट्सएप पर न्यायधीश का डीपी लगा कर करते थे ठगी, पुलिस ने धर दबोचा

देहरादून पुलिस और एसटीएफ टीम को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने व्हाट्स एप पर राष्ट्रपति और न्यायाधीश के साथ अन्य बड़े लोगों को की डीपी लगाकर ठगी के मामले में इस गिरोह के दो सदस्यों को नोएडा से गिरफ्तार किया गया है।

रविवार को अपने कार्यालय में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) जन्मेजय खंडूडी ने पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि व्हाट्सएप पर ये शातिर गिरोह राष्ट्रपति,सुप्रीम कोर्ट के उच्चतम न्यायालय का न्यायमूर्ति बताकर ठगी करते थे। न्यायाधीश के अलावा राजनीतिक दलों के साथ बड़े व्यक्ति का फोटो लगाकर ये लोग धोखाधड़ी को अंजाम देते थे।

आरोपितों द्वारा देहरादून निवासी से करोड़ों की ज़मीन को खाली कराने के एवज में 50 लाख रुपये की डील की गई थी और उसके बाद ज़मीन के सिलसिले में दोनों आरोपितों ने 06 जुलाई को सचिवालय में एक आईएएस अधिकारी से मुलाकात भी की थी।

थाना कोतवाली में दर्ज मुकदमे के बाद इसके लिए टीम गठित की गई। अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए जनपद नोएडा उत्तर प्रदेश में जाकर 9 जुलाई को पुलिस टीम द्वारा जनपद नोएडा, सेक्टर 50 महागुन मेपल सोसाइटी में रेड/दबिश डाली गई। जहां पर दो व्यक्ति मौजूद मिले। उक्त दोनों व्यक्तियों की तलाशी लेने पर उनसे प्राप्त मोबाइल फोनों को चेक किया गया तो दोनों व्यक्तियों के मोबाइल नंबर पर कई मंत्रालयों के नंबर एवं कई वीआईपी के नंबर सेव मिला है।

उक्त मोबाइल नम्बरों से शासन के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को न्यायमूर्ति /महानुभावों के नाम से मैसेज किया जाना प्रकाश में आया। इस पर पुलिस टीम की ओर से उक्त मोबाइलों व सिम कार्ड को अपने कब्जे में लेकर मौके से दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने बताया कि पुलिस की ओर से आरोपितों के मोबाइल नंबरों की सीडीआर को खंगाला जाएगा। साथ ही आपराधिक इतिहास की जानकारी जुटाई जा रही है। दोनों आरोपितों के खिलाफ नई दिल्ली में कई मुकदमे दर्ज हैं और पहले कई बार जेल भी जा चुके हैं।

पूछताछ में अभियुक्त मनोज कुमार ने बताया कि एक महिला गीता प्रसाद से मुलाकात हुई। जिसने बताया कि देहरादून में मेरा एक क्लाइंट है, जिसकी जमीन खाली करानी है, अगर देहरादून में उसका काम हो जाए तो वह पार्टी पचास लाख तक दे सकती है। पचास लाख रुपये के लालच में आकर मैंने एक नया सिम कार्ड लिया और अपने साथी राजीव अरोड़ा के साथ मिलकर हमने उस सिम कार्ड को ट्रू कॉलर में उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति के नाम से फीड किया।

आरोपित ने बताया कि इसके पश्चात हम लोग देहरादून पहुंचे और 1 से 6 जुलाई तक देहरादून में ही रुके। इस दौरान हमारी मुलाकात दो व्यक्तियों से हुई, जिनकी देहरादून में करोड़ों रुपये की जमीन थी, जिसे खाली कराने के एवज में वह पार्टी पचास लाख रुपये देने को तैयार थी। उनका काम करवाने के लिये उत्तराखंड शासन में तैनात एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से मिलवाने की बात कही और ट्रू कॉलर में फीड किये गये उक्त फर्जी नम्बर से हमने उत्तराखंड सचिवालय में तैनात उक्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को मैसेज किया। स्वयं को उच्चतम न्यायालय का न्यायमूर्ति बताकर उनसे टाइम लेकर उक्त व्यक्तियों के साथ सचिवालय देहरादून मिले। वहां पर उक्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से मिलने के बाद हम वापस आ गए थे।

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