उत्तरकाशी जिले में मोबाइल टावरों से बीटीएस (बेस ट्रांस रिसीवर स्टेशन) 5 जी मशीन चोरी कर विदेशों में बचने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह के दो गुर्गे उत्तरकाशी पुलिस के हत्थे चढ़े हैं।
जहां दोनों गुर्गे मशीनें चुरा कर हैदराबाद के एक युवक के बेचते थे. बता दें कि,इन मशीनों को गल्फ देशों में ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है. क्योंकि भारत में ही बेचे जाने पर इनके पकड़ में आने की संभावना रहती है. विदेश में इन मशीनों को ट्रेस नहीं किया जा सकता. जहां रविवार को SP अर्पण यदुवंशी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि पुलिस ने मोबाइल टावरों से बीटीएस 5 जी मशीन चोरी कर बेचने के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.
दरअसल, बीते दिनों पहले सुरेन्द्र कुमार पटेल ने थाना कोतवाली उत्तकाशी में मोबाईल टावरों में एयरटेल के BTS 4G मशीन को चोरी करने की शिकायत की गई थी. जिसपर कोतवाली पुलिस ने IPC 379 के तहत केस दर्ज किया था.जिसपर एक्शन लेते हुए SP अर्पण यदुवंशी ने टीम गठित कर कार्रवाई के निर्देश दिए है. जहां दो आरोपी चन्द्रप्रकाश जोकि थाना मुरादनगर जिला गाजियाबाद का रहने वाला है. वहीं, दूसरा आरोपी कुलदीप कुमार थाना खतौली जिला मुजफ्फरनगर का रहने वाला है.
वहीं, पुलिस ने यूपी के डुंडा देवीधार के पास से दिल्ली नंबर की वैगनार कार से गिरफ्तार किया गया है. साथ ही करीब 25,00000 की कीमत के पांच BTS (बेसबैण्ड) पकड़े गए.
इंस्टॉलेशन का काम करता था शातिर
वहीं, उत्तरकाशी SP अर्पण यदुवंशी ने बताया कि पकड़े गए गरोह के सदस्यों ने ब्रह्मखाल, लम्बगांव-टिहरी गढवाल, उत्तरकाशी व पुरोला से मोबाईल टावरों से BTS 4G मशीन चुराए है. जहां एक मशीन की कीमत करीब 4 से 5 लाख रुपए है. उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने के बाद SOG और कोतवाली पुलिस की एक संयुक्त टीम गठित की गई. जिन्होंने उत्तरकाशी, टिहरी गढवाल, हिमांचल प्रदेश और यूपी के करीब 250-300 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले है. हरियाणा, गाजियाबाद, नोयडा, दिल्ली में कई जगहों पर मोबाईल टावरो में इंस्टॉल करने वाले व्यक्तियों, मोबाईल टावरों की विभिन्न इंस्टॉलेशन कम्पनियों के इंजीनियरों से पूछताछ कर टावरों के पास कुछ संदिग्ध मोबाईल नंबरों की डम्प डाटा CDR कर गोपनीय जानकारी एकत्रित की गई, जिसके बाद इन चोरों को पकड़ा गया है.
जानिए क्या हैं पूरा मामला?
बता दें कि, चन्द्र प्रकाश बीते 7 से 8 महीने पहले उत्तरकाशी में कई जगहों पर इंस्टॉलेशन का काम कर चुका है. वहीं, कुलदीप ने चन्द्र प्रकाश को फोन करके बताया कि उसका एक परिचित आहिल जो जानसट, खतौली का रहने वाला है और हैदराबाद में काम करता है. उसने बताया कि टावरों में लगने वाला बेसबैंड काफी महंगा बिकता है, यदि कही से इंतजाम करो तो अच्छा पैसा मिलेगा. पैंसों के लालच में चन्द्र प्रकाश इस काम के लिए राजी हो गया. चोरी के लिए कार का इंतजाम किया जो चन्द्रप्रकाश ने अपने साले के दोस्त से घूमने के बहाने से ली थी. यहां आने के लिए इनके पास खर्चा नही था तो चन्द्रप्रकाश ने अपने दोस्त संजीव तोमर को अपने साथ तैयार किया. फिर गैंग ने उत्तरकाशी व टिहरी के कई क्षेत्रों में टावरों की रैकी की और अलग-अलग दिनों में ब्रह्मखाल, लम्बगांव, सब्जी-मण्डी, ज्ञानसू उत्तरकाशी व पुरोला से बेसबैंड़ उतारकर चोरी को अंजाम दिया गया. संजीव तोमर इनके साथ चोरी करने के बाद अपने घर चला गया था। ये दोनो हिमांचल प्रदेश से रैकी करते हुए उत्तरकाशी की ओर आ रहे थे, जिनको देवीधार के पास गिरफ्तार किया गया।