देहरादून: शहर में ऐसे आभूषण प्रतिष्ठान भी हैं, जो सोने की शुद्धता (Gold Purity) की गारंटी देकर आपको कम गुणवत्ता वाले आभूषण बेच सकते हैं। ये प्रतिष्ठान हालमार्क वाले आभूषण बेचने का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन इनके पास हालमार्क वाले आभूषण बेचने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) का लाइसेंस ही नहीं है।
बीआइएस की टीम ने दो सुनार पकड़े
प्रेमनगर में भारतीय मानक ब्यूरो (Indian Standards Bureau) की टीम ने ऐसे ही दो सुनार (ज्वेलर) पकड़े हैं, जो अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर हालमार्क वाले आभूषण बेच रहे थे। इनके पास से अधिकारियों ने करीब 110 पीस आभूषण बरामद किए।
ज्वेलर्स के पास नहीं था बीआइएस का लाइसेंस
बीआइएस (BIS) के निदेशक सुधीर बिश्नोई के मुताबिक इस तरह की सूचना मिल रही थी कि प्रेमनगर में महालक्ष्मी ज्वेलर्स व गायत्री ज्वेलर्स हालमार्क वाले आभूषण बेच रहे हैं। जबकि, इनके पास बीआइएस का लाइसेंस ही नहीं है।
ज्वेलर्स से करीब 110 पीस आभूषण किए जब्त
पुलिस के साथ पहुंची बीआइएस की टीम ने पाया कि वास्तव में दोनों प्रतिष्ठानों में हालमार्क वाली ज्वेलरी ( Hallmarked Jewelery) बेची जा रही थी। इस पर महालक्ष्मी ज्वेलर्स से करीब 80 पीस आभूषण व गायत्री ज्वेलर्स से करीब 30 पीस आभूषण जब्त किए गए।
ज्वेलर्स के पास कहां से आया हालमार्क बनाने वाला उपकरण
निदेशक बिश्नोई के मुताबिक दोनों सुनारों से यह पता किया जा रहा है कि उनके पास हालमार्क बनाने वाला उपकरण कहां से आया। हो सकता है कि इन्होंने शहर के किसी लाइसेंसधारी सुनार से यह प्राप्त किया हो।
दोनों सुनारों पर होगा मुकदमा दर्ज
इस मामले में दोनों सुनारों पर वाद दायर भी किया जा रहा है। छापा मारने वाली टीम में बीआइएस के विज्ञानी डीपी थपलियाल, नीलम सिंह, अभिजीत सिंह, संतोष कुमार, सरिता त्रिपाठी, मानक संवर्धन अधिकारी श्रीकांत मिश्रा आदि शामिल रहे।