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अवैध धार्मिक स्थलों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई जारी, हरिद्वार के गौरीकुंड और पंचमुखी हनुमान मंदिर को वन विभाग ने भेजा नोटिस, संत समाज में खासी नाराजगी

उत्तराखंड में इन दिनों अवैध धार्मिक स्थलों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई जारी है. 20 अप्रैल से शुरू अतिक्रमण हटाओ अभियान में अब तक 429 अवैध मजार, 42 मंदिर और 2 गुरुद्वारे हटाए जा चुके हैं. 20 अप्रैल से अब तक 455 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा दिया गया है. साथ ही कुछ मंदिरों पर भी नोटिस चस्पा किया गया है. दरअसल, उत्तराखंड में सरकारी जमीनों से अवैध धार्मिक निमार्णों को हटाने की कार्रवाई जोर शोर से चल रही है. यह कार्रवाई सिर्फ मजारों पर नहीं की जा रही है बल्कि, मंदिरों पर भी कार्रवाई की जा रही है. जो अवैध रूप से सरकारी और वन भूमि पर बनाए गए हैं. इसी कड़ी में हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े के मंदिर गौरीकुंड और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा पर स्थित एक अन्य मंदिर पंचमुखी हनुमान मंदिर को लेकर वन विभाग ने नोटिस भेजा है. जिसमें मंदिर से संबंधित दस्तावेज दिखाने को कहा गया है. अन्यथा मंदिर को अतिक्रमण मान लिया जाएगा. वहीं, वन विभाग से नोटिस मिलने पर संत समाज में खासी नाराजगी देखी जा रही हैं.

देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव कण-कण में विराजते हैं. लेकिन कुछ स्थान ऐसे हैं जिनका महत्व और मान्यता दशकों पुराना है. उन्हीं में से एक हरिद्वार के बिल्व पर्वत पर स्थित भगवान बिल्केश्वर धाम का मंदिर है. भगवान शिव का यह मंदिर बेलपत्र के नाम पर रखा गया है. इसी मंदिर से लगा हुआ एक कुंड है, जिसका नाम गौरीकुंड है.

बिल्केश्वर मंदिर को लेकर जारी नोटिस में कहा गया है कि मंदिर से संबंधित लोगों के पास कागजात है तो वन विभाग के सामने पेश करें.

इधर मंदिर पर नोटिस मिलने पर हरिद्वार विधायक मदन कौशिक का कहना है कि पंचमुखी हनुमान मंदिर को वन विभाग से जमीन को लीज पर लिया गया है. जिसकी समयावधि को बढ़ाए जाने पर वो खुद शासन से वार्ता करेंगे और जल्द ही इस पर फैसला ले लिया जाएगा.

वहीं डीएम धीराज सिंह गब्र्याल ने कहा कि अतिक्रमण पर कार्रवाई दोबारा की शुरू जाएगी. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि जो भी बाहरी व्यक्ति हरिद्वार में जमीन लेगा, उसका वेरिफिकेशन करने के बाद ही रजिस्ट्री की जाएगी.

राजाजी नेशनल पार्क के पूर्व निदेशक सनातन सोनकर कहते हैं कि उत्तराखंड में धार्मिक स्थलों का जंगलों में पाए जाना आम हो गया है. हां इतना जरूर है कि अब तेजी से कुछ धार्मिक संरचनाएं बढ़ी है. देहरादून और हरिद्वार के वन क्षेत्र में मस्जिद-मंदिर तेजी से बने हैं. वन क्षेत्र में पहले से भी कई बड़े मंदिर हैं जिनका प्रमाण सैकड़ों साल पुराना है. विभाग अमूमन उन्हीं को नोटिस देता है, जो प्रमाणित नहीं है.

अधिकारियों ने ये कहा:-

दोनों मंदिरों को नोटिस वन क्षेत्र अधिकारी विपिन डिमरी द्वारा जारी किया गया है. नोटिस मंदिर की दीवारों पर लगाया गया है. फिलहाल राजाजी नेशनल पार्क से जुड़े अधिकारी इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं बोल रहे हैं. उनका कहना है कि कार्रवाई के तहत नोटिस जारी किया है.

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर प्रबोधानंद महाराज का कहना है कि उत्तराखंड एक देवभूमि है, जहां देवता वास करते हैं. अगर उनके स्थान पर मंदिर होने के सबूत मांगे जाएंगे तो यह निंदनीय है. जिसे संत समाज बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा.

साथ ही युवा भारत साधु समाज के रविदेव शास्त्री ने कहा कि जिस मंदिर को लेकर वन विभाग ने नोटिस दिया है, वो प्राचीन काल से है. जिसका वर्णन पुरातन हिंदू पुराणों में भी है. अगर उस पर कार्रवाई की जाती है तो युवा भारत साधु समाज के संत मंदिरों के संरक्षण को आगे आएंगे.

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