विकासनगर-सेलाकुई के रमसावाला में चल रहे एक स्टोन क्रशर प्लांट का गंदा पानी सीधे सारना नदी में छोड़ा जा रहा है जिससे सारना नदी को प्रदूषित किया जा रहा है । क्रेशर प्लांट से निकलने वाले गंदे पानी को सीधे नदी में छोड़े जाने से नदी प्रदूषित हो रही है वहीं किसानों के खेत बर्बाद हो रहे हैं । क्रेशर प्लांट द्वारा सारे नियम कानून ताक पर रखकर क्रेशर प्लांट का पानी सीधे नदी में डाला जा रहा है। स्टोन क्रेशर प्लांट पर्यावरणीय मानको की अनदेखी कर रहा है,क्रेशर प्लांट से निकलने वाली सारी गंदगी को नदी में छोड़ा जा रहा है और इकट्ठा हुए मलबे को जेसीबी की मदद से नदी किनारे ही फैलाया जा रहा है।जिससे पर्यावरण और नदी को प्रदूषित करने का काम उक्त प्लाट संचालक के द्वारा किया जा रहा है।
जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक अनुसार क्रेशर प्लांट को आसपास बड़ी संख्या में पेड़ लगाकर ग्रीन बेल्ट को विकसित करने के निर्देश दिए गए हैं स्टोन क्रेशर यूनिटों में वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट के लिए भी प्लांट लगाना होता है ताकि इनमें इस्तेमाल होने वाला गंदा पानी दोबारा नदी में न जाए इसके अलावा पानी का प्रयोग बनाए रखने के लिए फ्लो मीटर भी लगाना होता है क्रशर यूनिट को पूरी तरह से कवर करने और धूल आदि को फैलाने से बचने के उपाय करने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि स्टोन क्रशरों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। सभी यूनिटों को औद्योगिक विकास और जिला प्रशासन की ओर से दी गई परमिशन के साथ लागू नियम शर्तों का भी पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
स्टोन क्रेशर प्लांट में ग्रीन कवर तैयार करना पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से सघन पौधरोपण क्षेत्र में होना अनिवार्य है।,नियमानुसार डस्ट को बाहर जाने से रोकने के लिए डस्ट अरेस्टर होना चाहिए,जहां पर क्रेशर संचालित है उस क्षेत्र के तीन ओर बड़ी दीवार होनी चाहिए। नियम के तहत स्टोन क्रेशर में सुबह और शाम सिंचाई होना अनिवार्य है जिससे डस्ट न उड़े।नदी को दूषित होने से बचाने और कई अन्य निर्देश दिए गए हैं जिनका पालन न होने पर उक्त प्लांट के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। लेकिन संबंधित विभाग अपनी मौन स्थिति धारण किए हुए हैं बल्कि पर्यावरण विभाग तो कुंभकरण की नींद सोया हुआ है।