नई दिल्ली। कोविड की दूसरी लहर से त्रस्त भारत को दुनिया के कोने-कोने से मदद मिलने का सिलसिला जारी है। लेकिन इस बीच शुक्रवार को एक ऐसे देश ने मदद भेजी है जिसके साथ हाल के दिनों में द्विपक्षीय रिश्तों में काफी खिंचाव आ गया था। यह देश तुर्की है जिसने कोविड से लड़ाई में भारत को 50 टन चिकित्सा सामग्री, आक्सीजन जेनेरेटर्स, सिलेंडर्स व वेंटिलेटर्स भेजे हैं। तुर्की वायु सेना के दो विमान इस महत्वपूर्ण मदद को लेकर भारत पहुंचे हैं और इनके साथ विश्वविख्यात सूफी कवि रूमी की दो लाइनें भी भेजी गई हैं जो अंधेरे के बाद उजाले का और दुख के बाद उम्मीद की लौ जलाती हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय तुर्की की इस मदद को लेकर काफी खुश है।
तुर्की पाकिस्तान का अभिन्न मित्र राष्ट्र है जो कश्मीर के मुद्दे पर उसका पूरा समर्थन करता है। ऐसे में भारत अपने व्यापक हितों को देखते हुए तुर्की के साथ रिश्तों को सुधारने पर जोर देगा।
महात्मा गांधी ने तुर्की में आजादी की लड़ाई में इकट्ठा किया था चंदा
नई दिल्ली स्थिति तुर्की के दूतावास ने भारत को भेजी गई मदद के बारे जो जानकारी दी है उसमें लिखा कि महात्मा गांधी ने तुर्की में आजादी की लड़ाई के लिए वर्ष 1919 से वर्ष 1923 के बीच चंदा इकठ्ठा किया था और डा. मुख्तार अंसारी ने बालकन युद्ध में तुर्की के ऑटोमन राज के सैनिकों के उपचार के लिए फील्ड अस्पताल बनवाये थे। इसमें यह भी बताया गया कि तुर्की ने कोविड से लड़ाई में दूसरे देशों को जो मदद भेजी है उसमें सबसे बड़ी मदद भारत को दी गई है। तुर्की ने भारत को 50 वेंटिलेटर्स, पांच आक्सीजन जेनेरेटर्स, 680 आक्सीजन सिलेंडर्स, 50 हजार एंटी वायरस दवाइयां भेजी हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसका स्वागत किया है।