विकासनगर: सरकार द्वारा भले ही छठी कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक स्कूलों को खोलने की अनुमति दे दी गई है और स्कूलों द्वारा कक्षाएं चलाई भी जा रही हैं लेकिन फिर भी निजी स्कूल अपनी मनमानी और छात्र-छात्राओं का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
आपको बता दें कि पछवादून क्षेत्र में अभिभावक और बच्चे इतने परेशान है कि उनके द्वारा बताया गया कि कुछ निजी स्कूल खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाने के लिए स्कूलों को खोले जाने के बाद भी ऑनलाइन कक्षाएं चला रहे हैं जिससे कि छात्र-छात्राओं पर अधिक भार पड़ रहा है क्योंकि बच्चे आधा दिन स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं और स्कूलों से लौटने के बाद स्कूल के शिक्षक छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन कक्षाएं चलाना शुरु कर देते हैं जिसमें उनके बच्चों को इतना अधिक कार्य दे दिया जाता है जिसको बच्चे आधी रात से भी ज्यादा जागकर उस ऑनलाइन दिए हुए कार्य को पूरा कर पाते हैं और अगर नहीं पूरा कर पाते तो बच्चे रात को 3 साड़े 3 बजे के करीब जागकर तब उस कार्य को पूरा करने में लग जाते हैं जिससे कि सीधे तौर पर बच्चों का स्कूलों द्वारा शोषण किया जा रहा है।
कुछ अभिभावकों का कहना है कि उनके बच्चे ब्राइट एंजल स्कूल में पढ़ते हैं और उनके द्वारा बताया गया कि जब वह अपने बच्चों को स्कूल में भेज रहे हैं तो फिर शिक्षक उनके बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं क्यों चला रहे हैं अभिभावकों का कहना है कि उनके बच्चे रात रात तक जाग कर शिक्षक द्वारा ऑनलाइन दिए गए कार्य को पूरा करते हैं और जो कार्य अधूरा रह जाता है तो उसको वह प्रातः 3 बजे जागकर पूरा करने में लग जाते हैं इससे उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।अभिभावकों द्वारा उनके बच्चों से पूछने पर बच्चों ने बताया कि स्कूल में टीचर सिर्फ किताबे पढ़ा कर चल देते हैं और ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से राइटिंग वर्क के लिए एक बड़ी पीडीएफ बनाकर बच्चों को कार्य करने के लिए दे दी जाती है।जब इस मामले पर क्लास टीचर से बात की गई तो उनके द्वारा कहा गया कि इस मामले में स्कूल प्रबंधक से बात कीजिए। अभिभावकों का कहना है कि आखिर जब स्कूल खुल गए हैं और उनके बच्चे स्कूल भी जा रहे हैं तो क्यों स्कूल के द्वारा ऑनलाइन कक्षाएं चलाई जा रही हैं यदि ऑनलाइन कक्षाएं ही चलाना स्कूलों के लिए जरूरी है तो वह अपने बच्चों को स्कूल क्यों भेजें और जब स्कूल खुल ही गए हैं तो अभिभावक चाहते हैं कि उनका बच्चा मोबाइल से दूर रहे आखिर स्कूलों की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह बच्चों को जबरन ऑनलाइन कक्षाएं चलाकर बच्चों का शोषण करने पर मजबूर हैं।
वही जब इस पूरे मामले पर उप शिक्षा अधिकारी श्रीवास्तव जी से बात की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि जो बच्चे स्कूल आ रहे हैं तो उनका ऑनलाइन कक्षाओं से कोई लेना देना नहीं होना चाहिए और यदि कुछ ऑनलाइन कार्य दिया भी जाता है तो वह बच्चे की मानसिकता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ही दिया जाना चाहिए ऐसा ना हो कि बच्चों पर ओवरलोड पड़ने के कारण बच्चे मानसिक और शारीरिक तौर पर बीमार पड़ जाएं और जब स्कूलों द्वारा शोषण का मामला उनके संज्ञान में आया है तो उनके द्वारा सभी स्कूलों के लिए एक सामान्य तौर पर नोटिस जारी कर दिया जाएगा और बच्चों का शोषण कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
रिपोर्ट:राजिक खान