उत्तराखंड का अगला CM कौन? अजय भट्ट, धन सिंह रावत, सतपाल महाराज और पुष्कर धामी के नाम रेस में पर रमेश पोखरियाल निशंक सबसे मजबूत दावेदार
Dehradun : उत्तराखंड में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी में मुख्यमंत्री के चेहरे पर मंथन शुरू हो गया है। नए सीएम के लिए श्रीनगर सीट से विधायक और निवर्तमान मंत्री धन सिंह रावत, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट और पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री रहे डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक समेत मंत्री रहे सतपाल महाराज के नामों की चर्चा शुरू हो गई है।
इसी चर्चा के बीच मुख्यमंत्री चुनने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए केन्द्रीय पर्यवेक्षकों के तौर पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल से पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान के देहरादून पंहुचने की खब़र सामने आ रही है।
निवर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चुनाव हारने के बाद अब नए मुख्यमंत्री को लेकर ये तमाम नाम रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। हालांकि उत्तराखंड की कमान कौन संभालेगा इस पर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान को लेना है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि उत्तराखंड का CM कौन होगा, यह कहना अभी मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि BJP लोकतांत्रिक पार्टी है और विधायक दल अपना नेता चुनेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी अपने पूर्ववर्ती हरीश रावत और भुवन चंद्र खंडूरी की तरह हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि, ऐसी चर्चा तेज है कि बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रख सकती है। लेकिन एक बड़ी अड़चन यह हैं की पड़ोसी,पहाड़ी राज्य हिमाचल में भी इसी प्रकार की स्थिति सामने आयी थी जब मुख्यमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी प्रोफेसर प्रेम कुमार धुमल सुजानपुर से चूनाव हार गये थे ।
उसके बाद बड़े पैमाने पर मंथन करते हुऐ पार्टी हाईकमान ने धूमल को मुख्यमंत्री ना बनाने का फैसला करते हुए जयराम ठाकुर की ताजपोशी मुख्यमंत्री मंत्री पद पर कर दी थी। ऐसे में धामी पर दांव खेलकर हिमाचल में धूमल गुट की नाराज़गी की संभावनाएं बढ़ सकती हैं और हाल ही में हिमाचल में विधानसभा चुनाव होने हैं जहां पहले से ही भाजपा के हालात सही नहीं माने जा रहें हैं। इनसब बातों के मद्देनजर धामी के नाम पर मुहर लगना दूर की कौडी माना जा रहा है।
धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे धन सिंह रावत श्रीनगर गढ़वाल सीट से चुनाव जीते हैं। उन्होंने कांग्रेस के गणेश गोदियाल को 587 वोटों से हराया। उच्च शिक्षा मंत्रालय का कामकाज संभालते हुए रावत ने अपनी कार्यशैली से अलग पहचान बनाई। इन सब के बावजूद धन सिंह रावत का दावा कमजोर माना जा रहा है क्योंकि भाजपा की लहर के बावजूद और प्रधानमंत्री की धन सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र में रैली करने के बाद भी धन सिंह रावत का काफी कम अंतर से जीतना ही सवाल खडे़ कर रहा है।
पौड़ी गढ़वाल से आने वाले अनिल बलूनी चुपचाप अपने काम करने और नपे-तुले शब्दों में बात रखने के लिए जाने जाते हैं। पत्रकारिता से महज 26 साल की उम्र में राजनीति में आए बलूनी अब 48 साल के हो चुके हैं। दिल्ली से बिहार फिर गुजरात के रास्ते 2022 में देहरादून वापस आए। बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा सांसद के साथ-साथ राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी भी बना रखा है। 2017 में भी उनके सीएम बनने की तगड़ी चर्चा थी। बलूनी संघ को भी पसंद हैं। बलूनी के खिलाफ जो सबसे बड़ी अड़चन सामने आ रही है वो हैं उनकी प्रशासनिक अनुभव हीनता और विधायकों को साथ लेकर चलने की क्षमता ।
उत्तराखंड सियासी तौर पर बेहद सजग राज्य माना जाता है। यहां पर विधायकों को साधना किसी भी मुख्यमंत्री के लिए कड़ी चुनौती माना जाता है। यहीं कारण है की नारायण दत्त तिवारी के बाद एक भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है और पिछली सरकार में तो अभूतपूर्व बहुमत होने के बाद भी तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने से पार्टी की जग हंसाई हो चुकी है।
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट का नाम नए सीएम की रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है। नैनीताल-उधमसिंह नगर से लोकसभा सदस्य भट्ट भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं, जो उत्तराखंड के गठन से पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य थे। वह दो बार उत्तराखंड विधानसभा के लिए चुने गए – 2002 और 2012 में और 2019 में लोकसभा के सदस्य बने। पिछले साल जुलाई में, उन्हें रक्षा राज्यमंत्री बनाया गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का नाम भी पार्टी हलकों में चर्चा में हैं। इससे पहले निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उन्हें मोदी और अमित शाह का करीबी भी मन जाता है. वे केंद्र में शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. निशंक काफी सुलझे हुए और मृदुभाषी होने के साथ साथ अनुभवी नेता हैं. उत्तराखंड में चुनाव के दौरान वे खासे सक्रिय नजर आए और पार्टी नेतृत्व इस बात को नोटिस करते हुए उन्हें सूबे की जिम्मेदारी सौंप सकता है।
पिछली उत्तराखंड सरकार में मंत्री रहे सतपाल सिंह महाराज भी सीएम पद के दावेदार हैं। रावत 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे। सतपाल महाराज स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री बनने की अपनी आकांक्षा जताते रहे हैं। भाजपा के एक सूत्र ने IANS से कहा, ‘सतपाल महाराज का कांग्रेस के साथ पुराना जुड़ाव उनके मामले को कमजोर कर सकता है। पार्टी जब भी किसी एक नाम का चयन करती है, तब रावत हमेशा सीएम पद के संभावित उम्मीदवार होते हैं।’ हालांकि पार्टी के नेता किसी ‘सरप्राइज’ की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं।
उत्तराखंड के सियासी हलकों में चर्चा है की पार्टी आलाकमान सिर्फ ब्राह्मण चेहरे पर मुख्यमंत्री का दांव खेलने जा रहा है,कारण यह बताया जा रहा है की पड़ोसी राज्यों उत्तरप्रदेश और हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री ठाकुर समुदाय से हैं और देश के अहम राज्य मध्यप्रदेश में भी शिवराज सिंह चौहान भी ठाकुर समुदाय से हैं ।दूसरा उत्तरप्रदेश में जिस प्रकार ब्राह्मणों की नाराज़गी की खबरें सामने आई थी उसे देखते हुए अगर उत्तराखंड में ठाकुर समाज से मुख्यमंत्री पद की ताजपोशी की गई तो पूरे देश में ग़लत संदेश जा सकता है की भाजपा ब्राह्मण विरोधी है जिससे देशभर में पार्टी को ब्राह्मण समाज की नाराज़गी का सामना करना पड़ सकता है।
इन सारे गुणा,भाग,जोड़,घटाओं को देखते हुए उत्तराखंड में ब्राह्मण मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकता है जिनमें अनिल बलूनी,अजय भट्ट और पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल के नामों में से किसी एक चेहरे पर मुहर लग सकती है । इनमें सबसे सशक्त चेहरा रमेश पोखरियाल निशंक का हो सकता है क्योंकि माना जा रहा है की निशंक में गज़ब की प्रशासनिक क्षमता है साथ मृदा स्वभाव के चलते एक यहीं चेहरा है जो सभी विधायकों के साथ बेहतर तालमेल रखते हुए पांच साल निर्विघ्न सरकार चला सकता हैं।
वरिष्ठ पत्रकार:विपिन खन्ना