भारत देश में 70 साल तक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस पार्टी आखिर क्यों पिछड़ती जा रही है जनता द्वारा कांग्रेस पार्टी से दूरी की वजह क्या है क्या कांग्रेस पार्टी ने इन सब बातों पर कभी मंथन किया है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस पार्टी पुराने फार्मूले पर ही हर बार चुनाव मैदान में उतरती है पार्टी वही रणनीति अपनाती है जिस पर वह पिछले कई चुनावों में लगातार फेल हो रही है क्योंकि पार्टी के पास ना तो कोई नया फार्मूला है और ना ही वह नए फार्मूले और नए चेहरे पर कोई रिस्क लेना चाहती है जबकि पार्टी को लगातार कई चुनावों में हार के बाद समझ लेना चाहिए था कि आखिर मतदाता का मूड और पसंद क्या है और जनता क्या चाहती है।
जानकारों का मानना यह भी है कि कांग्रेस पार्टी चुनावों में हर बार की तरह कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है जो कांग्रेस पार्टी की हार का सबसे बड़ा कारण बन रहा है पार्टी हमेशा पुराने दिग्गज समझे जाने वालों को ही चुनाव मैदान में उतारती हैं जोकि पूरे वीआईपी कल्चर से ताल्लुक रखते हैं जो चुनाव खत्म हो जाने से लेकर चुनाव होने तक मुश्किल से एक आध बार ही अपने क्षेत्र की जनता से ताल्लुक रखते हैं और पूरे चुनाव के दौरान अपने खास कहे जाने वाले 2 चार लोगों पर ही निर्भर रहते हैं उन्ही को अपने पूरे चुनाव की जिम्मेदारी सौंप देते हैं कहने का मतलब उन्हीं दो-चार लोगों के बताए अनुसार ही अपने पूरे चुनाव की रणनीति बनाते हैं और फिर चुनाव हार कर 5 साल की छुट्टी पर चले जाते हैं। दूसरा कांग्रेस पार्टी में हर कार्यकर्ता खुद में एक बड़ा नेता बन चुका है इससे पार्टी में कार्यकर्ताओं की कमी नजर आ रही है जबकि भाजपा में हर बड़ा नेता भी एक कार्यकर्ता बनकर काम करता है।
देश की आबादी का बड़ा हिस्सा या तो मध्यम वर्गीय या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करता है जो वीआईपी कल्चर और रसूखदार लोगों से ऊब चुका है जनता चाहती है कि उनका नेता या विधायक ऐसा हो जिसके साथ में अपनी हर तरह की समस्याओं का साझा कर सकें और जो उनके हर सुख दुख में अपने क्षेत्र की जनता के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा रहे जिसके भाषण एक आम व्यक्ति की जिंदगी को छूते हुए और आम इंसान जैसे ही बात करता हो उन्हीं के जैसा दिखता हो जनता नहीं चाहती बड़े-बड़े भाषणों को सुनना अगर सुनना चाहती है तो आम आदमी के जीवन से संबंधित रोजमर्रा की समस्याओं के समाधान के बारे में जिन समस्याओं और हालात का लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में सामना करते हैं।
देश की जनता का मूड और पसंद को भाजपा और नई उभरती आम आदमी पार्टी बहुत अच्छे से समझ चुकी है जिसका दोनों ही पार्टियों को भरपूर फायदा भी हो रहा है
बात करते हैं भारतीय जनता पार्टी की भारतीय जनता पार्टी का चुनावों में पुराने फार्मूले को छोड़कर नए फार्मूले पर चुनाव लड़ा जाता है बड़े-बड़े धुरंधरों के टिकट कट जाते हैं और पार्टी के ही निष्ठावान कार्यकर्ता को टिकट देकर बड़ी जीत हासिल कर ली जाती है और मुख्यमंत्री के लिए भी बड़ा चेहरा ना चुनकर सब की कल्पना से परे मुख्यमंत्री का पद सौंप दिया जाता है।
आम आदमी पार्टी में भी इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए अपनी चुनावी रणनीति बना कर चुनाव मैदान में उतरती है और यही कारण है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के साथ-साथ अब पंजाब जैसे राज्य में भी अपना झंडा बुलंद कर दिया है।
राजनीतिक जानकारों का तो यहां तक मानना है कि अगर कांग्रेस पार्टी अपने इन्हीं फार्मूलो पर चुनाव लड़ती रहीं तो आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी का वोट बैंक पूरी तरह से आम आदमी पार्टी में समा जाएगा बाकी सब तो आने वाले समय के गर्भ में छुपा हुआ है पर यह मानना पड़ेगा कि देश की राजनीति अब पहले जैसी नहीं रही पूरी तरह से बदल चुकी है लोगों का नजरिया सरकार चुनने का बदल चुका है।
राजिक खान