टनकपुर के रेंजर ने बताया, भारतीय वन क्षेत्र में करीब पांच हेक्टेयर भूमि पर नेपाल का अतिक्रमण है. इन जगहों पर नेपाल के पक्के मकान, अस्थाई झोपडियां और दुकानें बनी हुई हैं.
उत्तराखंड के चंपावत में भारत-नेपाल सीमा पर नेपाल ने वन विभाग की पांच हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ है. सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि बल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी है. वहीं, राज्य के वन विभाग ने भी नेपाल के अतिक्रमण को लेकर शासन को रिपोर्ट भेजी है. वन विभाग के अनुसार भारतीय वन क्षेत्र की करीब पांच हेक्टेयर भूमि पर इस वक्त नेपाल का अतिक्रमण है और पिछले तीन दशकों में इस भूमि पर किए गए अतिक्रमण के तहत पक्के निर्माण के साथ-साथ अस्थायी झोपड़ियां और दुकानें भी बना ली गई हैं.
30 साल से अतिक्रमण किया जाता रहा है-वन विभाग
सीमा सशस्त्र बल (एसएसबी) के असिस्टेंट कमांडेंट अभिनव तोमर ने भारत की भूमि पर नेपाल के अतिक्रमण को लेकर कहा कि, यह हाल में नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि नेपाल के अतिक्रमण की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई है. अब सर्वे ऑफ इंडिया और सर्वे ऑफ नेपाल की टीमें ही सर्वे कर इसका समाधान करेंगी. उधर, वन विभाग के मुताबिक जिले की टनकपुर शारदा रेंज से लगी भारत-नेपाल सीमा के शारदा टापू समेत ब्रह्मदेव में कई जगहों पर नेपाल की ओर से पिछले 30 सालों से अतिक्रमण किया जाता रहा है.
कई बार हो चुका है सीमा पर विवाद-टनकपुर रेंजर
टनकपुर के रेंजर महेश बिष्ट ने बताया कि, सीमा से लगे भारतीय वन क्षेत्र में करीब पांच हेक्टेयर भूमि पर नेपाल का अतिक्रमण है. बिष्ट ने बताया कि अतिक्रमण वाली जगहों पर नेपाल के पक्के मकानों के साथ ही अस्थाई झोपडियां और दुकानें बनी हुई हैं. उन्होंने कहा कि इस भूमि को लेकर कई बार सीमा पर विवाद हो चुका है. बिष्ट ने कहा कि वन विभाग ने भी अपने स्तर से अतिक्रमण की रिपोर्ट उत्तराखंड शासन और भारत सरकार के गृह मंत्रालय को भेजी है.
तीन बार भेजी जा चुकी है रिपोर्ट-अधिकारी
अधिकारियों के अनुसार एसएसबी और वन विभाग द्वारा वर्ष 2010 और 2021 के बीच तीन बार इस अतिक्रमण की रिपोर्ट गृहमंत्रालय और उत्तराखंड सरकार को भेजी जा चुकी है. उन्होंने बताया कि पिछले माह भारत और नेपाल के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठा था तब आपसी सहमति के बाद दोनों देशों की सीमा सर्वे टीमों के द्वारा इस पर सर्वेक्षण की बात कही गयी थी.