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उत्तराखंड में अब वन स्टेट वन रॉयल्टी नीति होगी लागू, सस्ती हो जाएंगी निर्माण सामग्री,अंतिम फैसला बाकी

उत्तराखंड की आय के प्रमुख स्रोतों में से एक, खनन की रॉयल्टी दरों में एकरूपता लाने की तैयारी है। प्रदेश में वन स्टेट, वन रॉयल्टी नीति लागू की जाएगी। शासन के निर्देश पर वन विकास निगम ने इसका प्रस्ताव तैयार कर सौंप दिया है।हालांकि इस पर अभी अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है। रायॅल्टी की दरें एक समान लागू होने से जहां अवैध खनन के मामलों में कमी आएगी, वहीं निर्माण सामग्री सस्ती होने से लोगों को घर इत्यादि बनाने में राहत मिलेगी।

प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में आरक्षित वन क्षेत्रों में उपखनिज का चुगान (खनन) वन विभाग की ओर से वन विकास निगम को सौंपा गया है। इसके अलावा राजस्व क्षेत्र की नदियों में खनन विभाग की देखरेख में खनन होता है। वहीं, शासन-प्रशासन की अनुमति के बाद निजी पट्टों पर भी खनन किया जाता है। खास बात यह कि तीनों तरह के खनन में रॉयल्टी की दरें भिन्न-भिन्न हैं। वन विकास निगम की ओर से आरक्षित वन क्षेत्रों की विभिन्न नदियों में आरबीएम की दरें 20 से 25 रुपये प्रति कुंतल तय हैं। जबकि राजस्व और निजी खनन पट्टों में यह दरें 15 से 18 रुपये तय हैं। नई दरें क्या होंगी, इस पर शासन में होनी वाली अंतिम बैठक में फैसला लिया जाएगा।

बताते चलें कि राज्य में निकलने वाले 65 से 70 प्रतिशत उप खनिज का चुगान आरक्षित वन क्षेत्रों से निकलने वाली नदियों से किया जाता है। प्रदेश के आरक्षित वन क्षेत्रों में स्थित नदियों में खनन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जारी गाइड लाइन के अनुसार किया जाता है। इसके अनुसार, रॉयल्टी की दरों के साथ सीमांकन एवं सुरक्षा क्षतिपूर्ति पौधरोपण, स्टांप शुल्क, वन्य जीव शमन, श्रमिक कल्याण कोष, धर्मकांटा, कंप्यूटरीकृत तौलाई, सीसीटीवी कैमरा, परिचालन व्यय जैसी तमाम औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं। जिससे वन विकास निगम की रॉयल्टी दरें राजस्व और निजी खनन पट्टों से इतर अधिक हैं। अब इन व्ययों के खर्च को कम करने पर मंथन किया जा रहा है, ताकि खनन रॉयल्टी में एकरूपता लाई जा सके।

– पूरे राज्य में सभी स्थलों से निकलने वाले खनिजों की मूल रॉयल्टी को प्रति कुंतल सात रुपये तक किया जा सकता है।
– जिला खनिज न्यास में अशंदान रॉयल्टी को 15 प्रतिशत किया जा सकता है।
– क्षतिपूरक पौधरोपण में अशंदान रॉयल्टी को 10 प्रतिशत किया जा सकता है।
– सीमांकन एवं सुरक्षा में वन विभाग का अशंदान 0.25 रुपये प्रति कुंतल किया जा सकता है।
– वन विकास निगम परिचालन व्यय में 0.25 रुपये प्रति कुंतल कम करने पर सहमत है।
– वन विभाग की ओर से रोड फीस 25 प्रतिशत कम करने पर विचार किया जा सकता है।

उप खनिजों की विक्रय दरें राजस्व की मदें, वन विभाग की मदें, वन विकास निगम की मदें, जीएसटी और आयकर को जोड़कर निर्धारित की जाती हैं। वन अधिनियम की शर्तों को पूरा करने के साथ इस तरह से वन विकास निगम की दरें बढ़ जाती हैं। हम इन दरों को कैसे कम कर सकते हैं, इसके तमाम पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। शीघ्र ही इस संबंध में फैसला लिया जाएगा।
– आरके सुंधाशु, प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण

खनन की रॉयल्टी में एकरूपता लाने के लिए शासन स्तर पर वन विभाग के साथ लगातार बैठकें की जा रही हैं। जिसमें वन विभाग से वन विकास निगम की दरों में संशोधन पर चर्चा की जा रही है। रॉयल्टी में एकरूपता आने से आम लोगों को इसका लाभ मिलेगा और राजस्व में भी वृद्धि होने का अनुमान है।
– पंकज कुमार पांडेय, सचिव, खनन

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