हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कब्जाधारियों के पुनर्वास को समाधान निकालने के लिए और समय मांगे जाने पर देश के शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे को आठ सप्ताह का समय दिया है।रेलवे द्वारा दावा की गई भूमि से कब्जेदारों को हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। अगली सुनवाई दो मई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने पांच जनवरी को हल्द्वानी में 4000 से ज्यादा घरों पर चलने वाले बुलडोजर पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड सरकार और रेलवे को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए एएसजी ऐश्वर्या भाटी से कहा था कि पुनर्वास के पहलू को देखने के साथ-साथ रेलवे को भूमि कैसे उपलब्ध कराई जा सकती है, इस पर विचार करें।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि हमने एएसजी से कहा है कि ऐसी कोई कार्यप्रणाली हो सकती है, जिससे रेलवे को उपलब्ध कराई जा रही भूमि के उद्देश्य को प्राप्त करने के साथ-साथ क्षेत्र में रह रहे व्यक्तियों के पुनर्वास को भी देखा जा सके। कोर्ट ने आगे राज्य और रेलवे को व्यावहारिक हल खोजने के लिए कहा। जस्टिस ओका ने जोर देकर कहा, कोई हल निकालिए। यह मानवीय मसला है। जस्टिस कौल ने राज्य से कहा, उत्तराखंड राज्य को व्यावहारिक समाधान निकालना होगा। एएसजी ने आग्रह किया कि अंतिम तिथि के अनुसार समाधान निकालने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया जाए। पीठ ने कहा कि आग्रह स्वीकार किया जाता है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील ने कहा कि हल्द्वानी में समस्या कृत्रिम रूप से बनाई गई है। यदि पक्षों के वकील एक साथ बैठकर विचार करते तो इसे तुरंत हल किया जा सकता है।