देहरादून-राजधानी में अब बाग बगीचों का नहीं रहा अब कोई मोल प्लाटिंग का नशा नोटों की चाह लोगों पर इस कदर हावी है कि हरे भरे खूबसूरत फलदार जीवनदायी पेड़ों का लोग कत्लेआम करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं लगातार बाग बगीचे काटकर कंक्रीट के जंगल खड़े किए जा रहे हैं।
आपको बता दें कि नंदा की चौकी लॉ कॉलेज के सामने जीआरडी स्कूल के पीछे टोंस नदी से लगता एक 70 बीघा आम का हरा भरा बाग हुआ करता था जिस पर भू माफिया की बुरी नजर ऐसी पड़ी कि भूमाफिया इतना शातिर है कि लगातार पिछले 1 वर्ष से आम के पेड़ों का सफाया कर बाकायदा कच्चा रोड डालकर प्लोटिंग बेचने का कार्य किए जा रहा है जहां आज की डेट में बहुत सी इमारतें खड़ी कर दी गई है लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा बिक चुका है बहुत ही तेजी से अवैध रूप से निर्माण कार्य चल रहा है। सूत्रों की अगर मानें तो भू माफिया के पास ना तो किसी विभाग से किसी प्रकार की पेड़ों को काटने की कोई अनुमति ली गई है और ना ही भू माफिया के पास कॉलोनाइजर का लाइसेंस प्राप्त है और ना ही इस अवैध रूप से बस रही कॉलोनी का एमडीडीए से किसी प्रकार का कोई नक्शा पास कराया गया है। और जहां तक जानकारी मिली है यह क्षेत्र IMA के दृष्टिगत बहुत ही सेंसिटिव क्षेत्र बताया गया है कि क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण कार्य के लिए आईएमए की संस्तुति लेनी भी जरूरी होती है यदि ऐसा है तो सीधे-सीधे भू माफिया IMA को अपनी दबंगई के चलते चुनौती देता नजर आ रहा है।
कमाल की बात है भू माफिया इतने बड़े पैमाने पर अवैध रूप से आम के हरे भरे पेडों को काट कर बिना अनुमति बिना नक्शा पास कराए अवैध प्लाटिंग का कार्य कर रहा है और संबंधित विभागों को इसकी कोई खबर भी नहीं सोया हुआ है उद्यान विभाग, सोया हुआ है राजस्व विभाग , सोया हुआ है जंगलात विभाग और सोया हुआ है एमडीडीए विभाग या यूं कहें की भूमाफिया की पकड़ के चलते संबंधित विभाग बेबस साबित हो रहे हैं और यदि यह क्षेत्र सुरक्षा की दृष्टि से सेंसिटिव क्षेत्र है तो क्या कर रही है देश की सुरक्षा एजेंसीस।
अब देखना यह होगा कि संबंधित विभाग अपनी कुंभकरण की नींद से जागता है या नहीं और अगर जागता भी है तो किस प्रकार की कार्यवाही करता है या फिर महज खानापूर्ति कर मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा।