राजधानी देहरादून में भूमाफिया संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारियों से मिलीभगत कर खाली पड़ी ग्राम समाज और नदी खालो की जमीन के कूट रचित दस्तावेज तैयार कर कब्जा किए जा रहे हैं।
आपको बता दें कि टोंस नदी यानी बरसाती नदी है जिसमें बरसात के दिनों में ही पानी आता है नदी के किनारे जमीन का कुछ हिस्सा ऐसा है जहां पानी नहीं बहता जिस पर भू माफियाओं की बुरी नजर पड़ गई है जो शीशमबाड़ा तुलास के सामने होने से बेशकीमती बन गया है जिसका खसरा नंबर काफी बड़ा है इस खसरा नंबर में नदी खाले और ग्राम समाज और पट्टे की जमीन भी है। भू माफियाओं द्वारा इस खसरा नंबर में जो पुराने पट्टा धारक थे उनकी खोज पड़ताल की जिनको वर्तमान में यह भी नहीं पता था कि उनकी पट्टे की जमीन कहां पर स्थित है भू माफियाओं ने पट्टा धारकों से ओने पौने दाम में पट्टे की जमीन भूमि दरी करवा कर अपने नाम चढ़वा ली गरी फिर एक ही खसरा नंबर होने की वजह से संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारियों से मिलीभगत कर इस बेशकीमती जमीन को पट्टे की जमीन दर्शा कर भू माफियाओं ने दो जगह 7-7 बीघा भूमि पर चारदीवारी कर ली गई जिसमें चारदीवारी के अंदर बिजली के बड़े-बड़े खंभे लगे हुए हैं जिनके जरिए बिजली की हाई वोल्टेज लाइन भी चालू है। इस भूमि की कीमत करोड़ों रुपए में बताई गई है।
यदि इसी प्रकार भू माफिया अधिकारी कर्मचारियों से मिलीभगत कर कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नदी खालो और ग्राम समाज की भूमि पर कब्जा करते रहे तो आने वाले समय में स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है। सरकार और जिला प्रशासन को चाहिए कि भू माफियाओं से अवैध कब्जे को जमीन से छुड़ाया जाए और साथ ही भू माफियाओं और मिलीभगत करने वाले अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
भू माफियाओं ने मिलीभगत कर टोंस नदी के किनारे ग्राम समाज की भूमि पर किया कब्जा
