विकासनगर- राजधानी देहरादून में सरकार के आदेश के बाद बाहरी राज्यों से धुली बाजरी और रेत पर प्रतिबंध लगाने के बाद खनन के कारोबार से जुड़े मोटर मालिक बर्बाद होने की कगार पर आ चुके हैं। मोटर मालिकों का कहना है कि जब से सरकार ने अन्य राज्यों से धुली बजरी लाने पर प्रतिबंध लगाया है तब से धुली बजरी पर प्रशासन ऐसा हो गया है कि मानो धुली बजरी ना होकर कोई स्मैक सुल्फें की तस्करी हो गई हो। प्रशासन धुली बजरी के नाम पर बिना वजह उनके वाहनों को सीज करने व चालान काटने की कार्यवाही कर रहा है किसी ना किसी बहाने सिर्फ उनका शोषण किया जा रहा है जिससे सभी मोटर मालिकों में इतना भय का माहौल है कि वह लोग अपनी गाड़ियों को सड़क पर उतारने से भी डर रहे हैं। मोटर मालिकों का कहना है कि जब वह सरकार को पूरा-पूरा टैक्स अदा कर रहे हैं और पूरा-पूरा स्टेट टैक्स जीएसटी क्वार्टर टैक्स और अन्य तरह के सभी टैक्स भर रहे हैं तो उनको कारोबार क्यों नहीं करने दिया जा रहा है यदि यही हाल रहा तो सभी मोटर मालिक अपने वाहनों को बेचकर कोई और धंधा करने लगेंगे क्योंकि जो हाल चल रहा है इस हाल में वह वाहन संबंधित टैक्स सरकार को कब तक घर से देंगे और घर का गुजर-बसर करना भी उनके लिए मुश्किल हो गया है। सरकार ट्रांसपोर्टरों के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोच रही है।
मोटर मालिक को कहना है कि सरकार को आखिर धुली बजरी से दिक्कत क्या है जबकि अन्य राज्यों से हर प्रकार की खनन सामग्री पर सरकार द्वारा निर्धारित टैक्स देकर ही परिवहन किया जाता हैं। धुली बजरी पर्याप्त ना होने की वजह से धुली बजरी की मांग और दाम बहुत बढ़ गए हैं जिससे जनता को भी खासी दिक्कत उठानी पड़ रही है। सरकार को चाहिए कि अपने तुगलकी फरमान पर दोबारा से विचार-विमर्श कर सभी प्रदेशवासियों के हित में निर्णय ले जिससे जनता को भी उचित दामों में खनन सामग्री मिल सके और मोटर मालिकों का भी कारोबार चलता रहे और सरकार को भी राजस्व में मुनाफा होता रहे।