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सावधान:राजधानी देहरादून की सड़कों पर दौड़ रहे हैं नंबर मिटे वाहन, प्रशासन ने आंखें बंद कर दी खुली छूट

राजधानी देहरादून में सड़कों पर दौड़ रहे नंबर छुपे डम्पर हाईवा पर किसी भी संबंधित विभाग को कुछ दिखाई नहीं दे रहा।

देहरादून शहर में रात होते ही निर्माण सामग्री ढोने वाले डम्पर-हाइवा मनमानी पर उतारू हो जाते हैं। बेलगाम गति से दौडऩे वाले इन वाहनों में नंबर प्लेट ही नहीं रहती है, अगर रहती है तो उसमें लिखे नंबरों को छिपा दिया जाता है जिससे इसकी पहचान न हो सके। यातायात का नियम तोडऩे वाले ये चालक पुलिस के सामने से बेखौफ वाहन निकाल रहे हैं और पुलिस तमाशा देखती रहती है। उधर, यह भी बताया जा रहा है कि जल्दबाजी में तेज गति से चलाने वाले इन वाहन चालकों से दुर्घटना होने पर ये घटनास्थल से भाग जाते हैं और नंबर नहीं होने से इनकी पहचान नहीं हो पाती है।

हिमाचल प्रदेश और पछवादून क्षेत्र से खनन सामग्री का परिवहन शहर में नो एंट्री की वजह से रात के समय अधिकतर किया जाता है। यह परिवहन डम्पर, हाइवा और से किया जाता है। नो-एंट्री को देखते हुए शहर के भीतर ये वाहन रात्रि के समय में आते हैं। ज्यादातर वाहन पोंटा साहिब हिमाचल प्रदेश में लगे क्रेशर प्लांट और पछवादून क्षेत्र की नदियों और स्क्रीनिंग प्लांट, क्रेशर प्लांट से परिवहन रात दस बजे के बाद से सुबह करीब पांच-छह बजे तक किया जाता है।

वाहनो के आगे पीछे की कुछ नंबर रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट से मिटा दिए जाते हैं या तो उन पर कालिख पोत दी जाती है या फिर झालर लटका दी जाती है या फिर मिट्टी आदि लगा दी जाती है वाहन के साइड में लिखें नंबर पर तो पेंट ही फेर दिया गया है। दिखाने के लिए नंबर प्लेट लगी रहती है जिस पर । वाहनों के आगे भी नंबर प्लेट की यही स्थिति रहती है।

आखिर सोचने वाली बात यह है कि वैसे तो आम जनमानस की मोटरसाइकिल और कार पुलिस प्रशासन और आरटीओ छोटे-मोटे नियम तोड़ने पर भारी भरकम चालान काट देता है या उनकी गाड़ियों को सीज कर देता है लेकिन खनन सामग्री से भरे इन नंबर मिटे वाहनों पर किसी की नजर नहीं पड़ती है लगातार सामने भी आता रहा है कि इन वाहनों के द्वारा कई बड़ी दुर्घटनाएं की जा चुकी है जिसमें हर साल कई लोगों की मौत भी हो जाती है ऐसे में यदि यह डंपर किसी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे देते हैं तो नंबर छुपा होने के कारण इनकी पहचान होना भी मुश्किल हो जाएगी जिला अधिकारी और पुलिस कप्तान को इस बात का संज्ञान गंभीरता से लेना चाहिए अब देखना यह होगा कि जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस बात को कितनी गंभीरता से लेते हैं और ऐसे वाहनों के खिलाफ क्या कार्यवाही करते हैं।

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