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एनएच 74 स्कैम में 7 पीसीएस अधिकारियों पर हो सकती है कार्यवाही, जांच हुई पूरी

एनएच 74 (हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में आरोपित सात पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ जांच पूरी हो गई है।

सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में पांच अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की गई है। अब इन पीसीएस अधिकारियों को चार्जशीट देने की तैयारी है। अभी शासन में इस रिपोर्ट का अध्ययन चल रहा है। इसके बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।
उत्तराखंड में एनएच 74 मुआवजा घोटाला ( NH 74 Scam) काफी सुर्खियों में रहा है। आयुक्त कुमाऊं की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर मार्च 2017 में तत्कालीन सरकार ने आठ पीसीएस अधिकारियों को प्रथम दृष्ट्या दोषी माना था। इनमें से सात पीसीएस अधिकारियों तीरथ पाल सिंह, अनिल शुक्ला, डीपी सिंह, नंदन सिंह नगन्याल, भगत सिंह फोनिया, सुरेंद्र सिंह जंगपांगी और जगदीश लाल को निलंबित कर दिया गया था।

क्या है एनएच-72 घोटाला

एनएच-74 मुआवजा घोटाला ( NH 74 Scam) उत्तराखंड के सबसे बड़े घोटालों में एक माना गया है।

यह घोटाला वर्ष 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार बनने के तत्काल बाद सामने आया था।

राष्ट्रीय राज मार्ग के चौड़ीकरण में मुआवजा राशि आवंटन में तकरीबन 250 करोड़ के घोटाले की आशंका है।

आरोप है कि मिलीभगत से अपात्र व्यक्तियों को मुआवजा राशि वितरित की गई।

इसकी जांच एसआइटी भी कर रही है।

अब तक जांच में एसआइटी घोटाले की पुष्टि कर अधिकारियों व किसानों समेत 30 से अधिक लोगों को जेल भेज चुकी है।

इस प्रकरण में दो आइएएस अधिकारी भी निलंबित हुए थे, जिन्हें बाद में शासन ने क्लीन चिट दे दी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लेना है अंतिम निर्णय

शासन ने रिपोर्ट पर कोई कदम नहीं उठाया। अब कुछ समय पहले जांच अधिकारी ने शेष तीन पीसीएस अधिकारियों की रिपोर्ट भी शासन को सौंप दी। ऐसे में शासन स्तर से इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है। अब कार्मिक विभाग इस रिपोर्ट का अध्ययन कर रहा है। कार्मिक विभाग जांच रिपोर्ट से सहमत होगा तो फिर आरोपित अधिकारियों से उनका पक्ष लेने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। सूत्रों की मानें तो जांच पूरी होने की सूचना मुख्यमंत्री कार्यालय को भी है। वहां से प्रकरण पर पूरी नजर रखी जा रही है। इस पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar SIngh Dhami) को ही लेना है।

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