News India24 uk

No.1 News Portal of India

उत्तराखंड में दूसरे प्रदेशों से आकर रह रहे लोगों का जरुरी सत्यापन, सरकार ने जारी की गाइडलाइन

उत्तराखंड की सीमा में बाहर से आकर रहने वालों के लिए सरकार ने नियमों में बदलाव किया है. यह नियम मुख्य रूप से किराएदारों और श्रमिकों के ऊपर लागू होगा. इस बारे में विस्तृत आदेश भी राज्य सरकार की तरफ से उत्तराखंड पुलिस महानिदेशालय ने जारी किया है.

यह आदेश बाहरी लोगों के उत्तराखंड में रहने के लिए कई अहम दस्तावेजों से जुड़ा है. मसलन मूल निवास स्थान, सत्यापन रिपोर्ट और चरित्र प्रमाण पत्र इत्यादि.

राज्य पुलिस महानिदेशालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया, “अब उत्तराखंड की सीमा में रहने के लिए हर बाहरी शख्स को मूल निवास स्थान, सत्यापन रिपोर्ट और चरित्र प्रमाण देना होगा. यानी बाहरी राज्यों से उत्तराखंड में आकर कामकाज करने वाले हों या फिर यहां बहैसियत किराये पर रहने वाले लोग या परिवार. इस प्रक्रिया से इन सभी को गुजरना होगा. इस प्रक्रिया के तहत राज्य में कार्यरत एवं निवास कर रहे लोगों को सत्यापन प्रारूप, सामान्य विवरण देने के साथ ही उनके दस्तावेज सही हैं या नहीं, इसके संबंध में खुद ही शपथ पत्र भी प्रस्तुत करना होगा.

सत्यापन रिपोर्ट दाखिल करना होगा अनिवार्य-

ताकि अगर राज्य की सरकारी मशीनरी अपने स्तर से कहीं अगर किसी शख्स का वैरीफिकेशन करने से चूक जाए तो हमारे-आपके द्वारा दाखिल इस शपथ-पत्र के जरिए पूरी जिम्मेदारी दस्तावेज या जानकारी दाखिल करने वाले की ही निर्धारित की जा सके. इसके अंतर्गत संबंधित व्यक्ति द्वारा अपने साथ लाई गई उनके मूल स्थान की सत्यापन रिपोर्ट और चरित्र प्रमाण पत्र संबंधी रिपोर्ट दाखिल किया जाना भी अनिवार्य होगा.

यह सभी दस्तावेज संबंधित जन को उनके मकान मालिक/प्रबंधक/स्वामी के माध्यम से स्थानीय पुलिस थाने में दाखिल कराने होंगे. ताकि किसी भी दस्तावेज या जानकारी पर संदेह होने की स्थिति पर राज्य की जांच एजेंसी होने के चलते पुलिस भी अपने स्तर पर तथ्यों का सत्यापन करने के लिए स्वतंत्र हो.

कूटरचित दस्तावेज पाए जाने पर होगी कार्रवाई-

यहां बताना जरूरी है कि इस नए आदेश से साफ है कि अब बाहरी राज्यों से उत्तराखंड में आकर कार्यरत एवं निवासरत व्यक्तियों के भौतिक सत्यापन के संबंध में पूर्व में निर्गत SOP में संशोधन किया गया है, जिसके मुताबिक उपरोक्त निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध, उत्तराखंड पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 83 के अन्तर्गत विधिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. साथ ही सत्यापन के संबंध में कूटरचित दस्तावेज (जाली-फर्जी) या गलत शपथ पत्र प्रस्तुत करने वाले के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कर विधिक कार्रवाई करने के लिए भी पुलिस स्वतंत्र होगी.

डीजीपी अशोक कुमार ने दी जानकारी-

इन तमाम तथ्यों की पुष्टि पत्रकारों से बातचीत के दौरान खुद राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने की. डीजीपी अशोक कुमार के मुताबिक, इस कदम को भी उठाए जाने के पीछे प्रमुख वजह है. अब तक देखने में आ रहा था कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा बाहरी राज्यों को भेजे गए कतिपय सत्यापन प्रपत्रों पर, संबंधित बाहरी जनपद/थाने से सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त ही नहीं हो रही थी.

अगर प्राप्त हो भी रही थी तो उनमें लंबा समय लग रहा था. जो कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किसी भी तरह से मान्य नहीं था. ऐसे में व्यक्ति द्वारा उत्तराखंड पुलिस के सामने दाखिल किये गये दस्तावेजों की पुष्टि भी लंबित रहती थी. इस संशोधन से सत्यापन प्रक्रिया सख्त बनेगी और संदिग्ध लोगों पर नजर रखकर कार्रवाई की जा सकेगी.

लाइफस्टाइल

error: Content is protected !!