नैनीताल उत्तराखंड में प्लास्टिक बैन के आदेश के बाद भी आदेश का पालन नहीं करने पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अख्तियार किया है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कोर्ट ने राज्य के वन व पर्यावरण विभाग के सचिव और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कमिश्नर कुमाऊं और गढ़वाल को तलब किया है.साथ ही कोर्ट ने राज्य के सभी डीएफओ पर 10-10 हजार का जुर्माना व्यक्तिगत तौर पर लगाया है. यह जुर्माना इन सभी को अपनी जेब से वहन करना होगा.
कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो अपने अधिकारियों को कूड़ा निस्तारण नियमावली की ट्रेनिंग दें ताकि वो अपनी जिम्मेदारी जान सकें. इसके साथ ही चीफ जस्टिस कोर्ट ने होटल मल्टीप्लैक्स मॉल, पार्टी लोन यानी बैंकट हॉल को आदेश दिए हैं कि वो अपना प्लास्टिक वेस्ट को रिसाइकिलिंग प्लांट तक खुद लेकर जाएं अगर वो नहीं लेकर जाएंगे तो निदेशक पंचायती राज व निदेशक शहरी विकास इन पर कार्रवाई करेंगे. ये आदेश अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर दिया है.
बता दें, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पिछले दिनों प्लास्टिक को उत्तराखंड में बैन करने का आदेश दिया था और कोर्ट ने अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय कर दी थी. जितेंद्र यादव की याचिका पर कोर्ट ने कहा था कि उत्पादनकर्ता, निर्माता, ब्रांड स्वामी,आयातकर्ता का प्रदूषण बोर्ड में पंजीकरण होना अनिवार्य है. अगर ये पंजीकरण नहीं करते हैं या फिर कूड़ा निस्तारण की प्लानिंग नहीं देते हैं तो इनके उत्पादों को उत्तराखंड में बैन किया जाए और ये अपना सामान यहां नहीं सेल किया जाए. इस आदेश का प्लान 3 महीने बाद भी नहीं हुआ जिस पर अब कोर्ट सख्त है.