विकासनगर: निजी स्कूलों की मनमानी है कि थमने का नाम नहीं ले रही है रोज किसी ना किसी बहाने अभिभावकों की जेब में डाका डालने के लिए नए-नए नियम लागू करके छात्र-छात्राओं पर दबाव डाला जाता है और स्कूल के नाम पर अपनी तरह-तरह की दुकानें चला रहे हैं कभी किताबी बेचकर तो कभी ड्रेस बेचकर।
आपको बता दें कि विकासनगर का ब्राइट एंजल स्कूल कुछ माह पूर्व अपने द्वारा बनाए गए नए हिटलर शाही नियमों की वजह से काफी चर्चा में रहा था जिसको लोग अभी भूले भी नहीं थे कि ब्राइट एंजल स्कूल ने एक नया फरमान नवंबर दिसंबर के माह में निकाल दिया है इस फरमान के तहत स्कूल अपने छात्र छात्राओं की ड्रेस बदल रहा है और सभी छात्र-छात्राओं पर नई ड्रेस खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है यहां तक की बच्चों से यह तक कह दिया गया है कि यदि आप नई ड्रेस नहीं खरीदते हैं तो आपको एग्जाम में भी बैठने नहीं दिया जाएगा और जो ड्रेस खरीदनी है वह भी स्कूल की बताई हुई दुकान पर ही मिलेगी जब स्कूल प्रबंधक से बात की गई तो स्कूल प्रबंधक के द्वारा यह कहा गया कि हमने ड्रेस बदली नहीं है हमने सिर्फ एक नई ड्रेस ऐड की है।
मतलब तो एक ही है चाहे ड्रेस बदली हो या एड की हो अभिभावकों को खरीदनी तो पड़ेगी ही। यह कौन सा नियम है कि स्कूल छात्र-छात्राओं की ड्रेस नवंबर दिसंबर के माह में बदल सकता है या दूसरी भाषा में ऐड कर सकता है मतलब दोनों का एक ही है। वही जब इस पूरे मामले पर शिक्षा अधिकारी वीपी सिंह से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि कोई भी स्कूल अप्रैल माह यानी नए सत्र से पहले स्कूल की ड्रेस नहीं चेंज कर सकता है और ना ही ऐड कर सकता है लेकिन स्कूल अपनी मनमानी पर उतारू है इस स्कूल को सरकार के किसी नियम कानून की कोई परवाह नहीं है सिर्फ स्कूल के नाम पर अपनी दुकान चलानी है।