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सरकार के करोड़ों रुपए की रकम पर फिरने वाला है पानी, क्लोजर के बच्चे मात्र 6 दिन,कार्य हुवा ढाक के तीन पात।

विकासनगर-राज्य सरकार के करोड़ों रुपयों पर विभाग और ठेकेदार पलीता फेरते नजर आ रहे हैं और यह काम रात के अंधेरे में नहीं दिन के उजाले में ही हो रहा है। नहर मरम्मत के कार्य के नाम पर हो रही सिर्फ खानापूर्ति।

आपको बता दें कि हमारे द्वारा एक खबर को प्रमुखता से प्रकाशित और प्रसारित किया गया था जिसमें बताया गया था कि किस तरह से उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के द्वारा शक्ति नहर में डाकपत्थर से लेकर कुल्हाल तक जो सरकार के करोड़ों रुपए की रकम से मरम्मत कार्य किया जा रहा है उसमें ठेकेदार द्वारा किस तरह से अनियमितताएं बरती जा रही है बावजूद खबर चलने की बाद भी विभाग और ठेकेदार अपनी मनमानी पर उतारू हैं 25 मई तक के लिए शक्ति नहर का क्लोजर किया गया है जिस बीच ठेकेदार द्वारा मरम्मत कार्य को पूरा किया जाना था वह भी पूरी गुणवत्ता के साथ और निर्धारित किए गए मानकों के अनुसार लेकिन मात्र 5 दिन बचे हैं क्लोजर पूरा होने में और देखा जाए तो मरम्मत कार्य मात्र 10 से 15 प्रतिशत ही हुआ है जिसमें साफ-साफ देखा जा सकता है नहर के दोनों साइडों पर दो चार जगह ही लीपापोती करते कुछ मजदूर नजर आ रहे हैं और नहर में अभी भी कई जगह तली में पानी मौजूद है उसी पानी में डाकपत्थर बैराज की तरफ से मात्र 500 मीटर में ही बजरोड डालकर बेड बिछाने का कार्य किया गया है जबकि नहर की क्षतिग्रस्त तली से पानी सुखा कर ना सफाई की गई है और ना ही पुरानी क्षतिग्रस्त नहर के बेड को उखाड़ा गया है बल्कि उसी के ऊपर पानी में ही बजरोड मे थोड़ा बहुत सीमेंट मिलाकर बेड बनाने का प्रयास किया जा रहा है। अब देखना यह होगा कि मात्र बचे 5 दिनों में किस तरह से कार्य को पूरा किया जाता है।

हमारे द्वारा शुरू में ही जब इस मरम्मत कार्य की आड़ में एक बड़ा खेल चल रहा था जिसमें हिमाचल राज्य के स्टोन क्रेशर से डाकपत्थर बैराज के रास्ते खनन सामग्री ला रहे वाहनों को अवैध तरीके से निकासी कराई जा रही थी गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को विभागीय अधिकारी द्वारा अवैध रूप से खनन सामग्री लाने वाले वाहनों की एक लिस्ट थमा दी गई थी जिसमें उन वाहनों को ना ही कोई सरकारी शुल्क अदा करना था ना ही कोई जीएसटी ना कोई वन विभाग का शुल्क। मरम्मत कार्य के नाम पर सबकी आंखों में धूल झोंक कर अवैध खनन का खेल खेला जा रहा था। जो खेल खबर प्रकाशित होने के बाद बंद करना पड़ा था जिससे सरकार को रोजाना लाखों रुपए के राजस्व की हानि उठानी पड़ी थी।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड डाकपत्थर के सभी कॉन्ट्रैक्ट वर्क विभाग के दो ही चहेते ठेकेदारों के द्वारा कराए जाते हैं और इन ठेकेदारों को विभाग का पूर्ण समर्थन रहता है अब इसके पीछे का राज तो ठेकेदार और विभाग ही जाने। सरकार को चाहिए कि क्लोजर समाप्त होने से पहले इसकि उच्च स्तरीय जांच की जाए और जांच में एक तथ्य यह भी शामिल रहे कि विभाग द्वारा जितने भी कॉन्ट्रैक्ट वर्क निर्गत किए गए हैं वह ज्यादातर किन ठेकेदारों के द्वारा किए गए हैं और इसके पीछे का कारण क्या है।

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