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दून पुलिस ने कोरोना महामारी की जंग में एक सच्चे योद्धा की भूमिका निभाई जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता।

पछवादून क्षेत्र के पांच योद्धा

विकासनगर- कोरोना जैसी महामारी ने जब पूरे देश में अपना विकराल रूप धारण कर लिया था भारी संख्या में लोग इस महामारी की चपेट में आ रहे थे पछवादून क्षेत्र में भी इस महामारी की चपेट में आए लोग अपना जीवन बचाने के लिए एक-एक सांस को तरस रहे थे दर-दर भटक रहे थे लोगों को इलाज के लिए अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही थी यहां तक कि डॉक्टर्स और स्वास्थ्य महकमे के भी हाथ-पांव फूल गए थे श्मशान और कब्रिस्तानो में नंबर लग रहे थे कोई किसी की मदद के लिए तैयार नहीं हो रहा था लोगों की मजबूरी का भी फायदा कुछ लोग और अस्पताल उठा रहे थे जो इस महामारी में भी अपनी चांदी कूटने में लग गए थे ऐसे हालातों में लोगों को कुछ सूझ नहीं रहा था।

ऐसे में एक पुलिस ही थी जो कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद और सुरक्षा के लिए बिना अपनी जान की परवाह किए हरदम खड़ी थी स्थानीय पुलिस का यह बलिदान पछवादून के लोग कभी भुला नहीं सकेंगे लोगों के सामने जब कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था कि किस तरह से इस महामारी की चपेट में आए अपने परिवार के सदस्य को कैसे बचाया जाए कैसे उसकी सांस बचाने के लिए ऑक्सीजन का इंतजाम किया जाए जब लोगों के सारे प्रयास खत्म हो जाते थे तब फिर उन्हें आखरी रास्ता पुलिस ही दिखती थी पुलिस ने भी अपने हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए थे लोग जब भी पुलिस को मदद के लिए फोन करते थे चाहे कितनी ही देर रात को मदद मांगी जाती तो पुलिस तत्काल लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहती थी चाहे ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करना हो या खाने की व्यवस्था करना हो या फिर मरीज को कहीं अस्पताल में एडमिट कराना हो पुलिस ने भी अपने स्तर से स्थानीय लोगों की सेवा के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी यूं तो उत्तराखंड पुलिस के सभी जवानों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है जो संभव हो सका है स्थानीय पुलिस अधिकारीयों के कुशल नेतृत्व और सच्चे मानव भाव की वजह से जिसमें कोतवाल विकासनगर राजीव रौथान,विकासनगर बाजार चौकी इंचार्ज अर्जुन सिंह गुसांई, डाकपत्थर चौकी इंचार्ज हिमानी चौधरी,हरबर्टपुर चौकी इंचार्ज प्रमोद कुमार,धर्मावला चौकी इंचार्ज दीपक मैठानी और कुल्हाल चौकी इंचार्ज पंकज कुमार यह वह चेहरे हैं जिनको कभी भुलाया नहीं जा सकता है और स्थानीय लोगों की सेवा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया कभी रात को रात नहीं समझा दिन को दिन नहीं समझा हर पल लोगों की एक फोन कॉल पर अपनी टीम के साथ स्वयं पहुंचकर जरूरतमंदों को भरपूर सहयोग प्रदान कर सच्ची मानवता की मिसाल पेश की जो वास्तव में ही काबिले तारीफ है।

लोगों ने शायद पुलिस का यह चेहरा पहले कभी नहीं देखा था जो इस महामारी के दौर में सामने आया स्थानीय लोग खुद को गौरवान्वित और खुशकिस्मत समझ रहे हैं कि इस महामारी के दौर में उनकी हर तरह की सुरक्षा वास्तव में मजबूत हाथों में है क्योंकि स्थानीय पुलिस ने परिवार के एक जिम्मेदार व्यक्ति की तरह पीड़ित और मजबूर लोगों की मदद की इस सब के साथ साथ जब महामारी से मृत व्यक्ति का कोई दाह संस्कार करने के लिए आगे नहीं आ रहा था तब भी स्थानीय पुलिस ने खुद से दाह संस्कार किया।
मुख्य संपादक-राजिक खान

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