डाकपत्थर बैराज पुल(हेड रेगुलेटर पुल) की सुरक्षा को लेकर न्यूज़ इंडिया24uk पर लगातार प्रमुखता के साथ लगातार कई बार उठाया गया जिसके बाद उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड जाग उठा और विभाग के अधिशासी अभियंता मोहम्मद अफजाल ने एसडीएम विकासनगर साथ ही प्रतिलिपि थाना प्रभारी विकास नगर को पत्र के माध्यम से खनन से भरे भारी वाहनों को रोकने के लिए सहयोग मांगा है जिस पर एसडीएम विकासनगर के द्वारा बताया गया कि जल्द ही डाकपत्थर बैराज पुल सुरक्षा के दृष्टिगत भारी वाहनों के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
डाकपत्थर बैराज पुल अपनी आयु के 50 से अधिक वर्ष पूरे कर चुका है विकास नगर का नंबर 1 पुल कुछ वर्षों पूर्व भारी वाहनों के आवाजाही के चलते ढह गया था जिसके बाद आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की टीम पुलों की स्थिति का निरीक्षण करने आई थी जिसमें आईआईटी रुड़की की टीम के द्वारा 1950 के दशक में शक्ति नहर के ऊपर बने कई पुल के साथ-साथ डाकपत्थर बैराज पुल को भी बाहरी वाहनों की आवाजाही के लिए तुरंत प्रतिबंधित करने की बात अपनी रिपोर्ट में कही गई थी। लेकिन विभाग द्वारा घोर लापरवाही बरती जा रही है जिसके चलते यमुना नदी और स्क्रीनिंग प्लांट से लगातार ओवरलोड से भरे खनन के भारी भारी वाहन दिन-रात गुजर रहे हैं जिसके चलते पुल अपनी जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है जिससे कभी भी इसी प्रकार की बड़ी दुर्घटना के साथ यह पुल ढह सकता है पुल के ढहने से विद्युत परियोजना बाधित हो जाएगी और सरकार को रोजाना लाखों करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि का सामना करना पड़ेगा साथ ही आसपास के गांवों मैं रहने वाले ग्रामीणों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा विभाग के द्वारा तो एक आध प्रतिबंध के बोर्ड लगाकर इतिश्री कर ली गई थी।
आपको बता दें कि पुल से ही शक्ति कैनाल के लिए निर्बाध पानी की सप्लाई की जाती है, जिस पर तीन जल विद्युत परियोजनाएं कुल्हाल (30 मेगावाट), ढालीपुर (51 मेगावाट) और ढकरानी (33 मेगावाट) स्थित हैं। इनका राज्य के विद्युत उत्पादन में अहम रोल है। परियोजना क्षेत्र प्रतिबंधित है।
अब देखना बाकी है कि संबंधित विभाग और प्रशासन इसमें कितनी गंभीरता दिखाता है और क्या उचित कदम भारी वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने के लिए उठाएगा।