विकासनगर तहसील क्षेत्र अंतर्गत भू माफियाओं द्वारा इन दिनों अवैध प्लाटिंग का कार्य जोरों शोरों पर हैं भू माफिया आवैध प्लाटिंग के चक्कर में हरे फलदार पेड़ों पर आरियां चलाने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।
आपको बता दें कि तहसील विकासनगर के अंतर्गत मौजा ढकरानी नहर के किनारे एक 6 बिघा का आम का बागिचा है जो कागजों में तो 6 बीघा है लेकिन मौके पर लगभग आठ 8 बीघा से ऊपर बताया जा रहा है भू माफियाओं द्वारा इस भूमि पर आवेध प्लाटिंग कर मुनाफा कमाने के लिए इसमें लगे हरे-भरे फलदार आम के वृक्षों को बिना अनुमति काटा जा रहा है उद्यान विभाग के अधिकारियों से बात करने पर उनके द्वारा बताया गया कि इस बगीचे में लगभग 45 पेड़ उनके द्वारा गिने गए थे लेकिन अब मात्र 2 दिनों के अंदर 34 पेड़ ही शेष बचे हैं जिनको धीरे-धीरे चोरी-छिपे रात के अंधेरे में काट दिया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि इसमें तीन सागवान के पेड़ भी थे जिसमें से दो सागवान के पेड़ों की अनुमति लेकर पूरे 3 पेड़ों को ही जड़ से उड़ा दिया गया है। भू माफियाओं द्वारा हरे फलदार पेड़ों को काटकर पर्यावरण को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
पर्यावरण को पहुंचा रहे हैं नुकसान
बता दें कि, तहसील विकसनगर में आम के हरे-भरे पेड़ों को काटकर अवैध प्लाटिंग का सिलसिला लगातार जारी है।उद्यान विभाग और वन विभाग की मिलीभगत से लगातार कहीं ना कहीं अवैध प्लाटिंग के लिए आम के बाग का कटान होता है। भू माफिया हरे भरे पेड़ों को काटकर पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं।वन विभाग के अधिकारी खानापूर्ति करते हैं।प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मामला वन विभाग का बताकर कार्रवाई से पल्ला झाड़ लेते हैं।
जबकि जिला अधिकारी देहरादून का डंडा लगातार अवैध प्लाटिंग करने वालों पर चल रहा है फिर भी जिला अधिकारी के लाख सख्ती के बावजूद भू माफिया अवैध रूप से प्लाटिंग करने से जरा भी परहेज नहीं कर रहे हैं मानो भू माफियाओं को ना प्रशासन का कोई भय है और ना ही जिला अधिकारी के आदेशों की कोई परवाह।
उद्यान विभाग और वन विभाग के साथ-साथ एमडीडीए और राजस्व विभाग को भी इस पूरे मामले पर सख्त कदम उठाने चाहिए पर लेकिन मिलीभगत के चलते भू माफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही बनती नजर नहीं आती।