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भू माफियाओं ने प्लाटिंग के चक्कर में फिर कटवा डाला आम का हरा भरा बाग

विकासनगर तहसील क्षेत्र अंतर्गत सहसपुर के पोंधा बिधोली क्षेत्र में जमीनों के भाव आसमान छूने लगे हैं जिस कारण भू माफियाओं ने तांडव मचाया हुआ आम की फसल के मौसम में आम के बगीचों को बिना अनुमति काटा जा रहा है। आम के बगीचे को अवैध रूप से काटकर प्लाटिंग कर चांदी कूटी जा रही है।

आपको बता दें कि बिधौली में पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी होने की वजह से आसपास के क्षेत्रों में भूमाफिया जबरदस्त तरीके से सक्रिय हैं आम के बाग को काटकर प्लॉटिंग करने के चलते पौंधा में लकड़ी माफियाओं का सहारा लेकर जंगल के किनारे आम के एक 14 बीघा हरे भरे बगीचे पर आरियां चला कर आम के हरे भरे पेड़ों को काटकर सफाया किया जा रहा है और कटे हुए पेड़ों की जड़ों को जेसीबी मशीन के द्वारा निकाल बाहर किया जा रहा है और उसके तुरंत बाद जमीन पर हेरो टिलर फेर कर बहा दिया जा रहा है जिससे कि पता न लग सके कि यहां पर कोई पेड़ भी था। पेड़ों को काटकर नीचे नदी में फेंक दिया जा रहा है जिसके अवशेष देखकर किसी का भी दिल पसीज उठेगा।

वहां मौजूद लोगों के द्वारा बताया गया कि तीन-चार दिनों से लगातार रात के अंधेरे में पेड़ों को काटा जाता है और काटकर नीचे नदी में फेंक दिया जाता है और जैसे ही मौका लगता है ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर निकासी कर दी जाती है और जेसीबी मशीन के द्वारा पेड़ की जड़ों को निकाल बाहर कर दिया जाता है और सुबह होने से पहले पहले हैरो टीलर फेर कर जमीन को बहा दिया जाता है जैसे कि वह खेती की जमीन हो सूत्रों की अगर मानें तो इस अवैध कटान में दो पत्रकारों के नाम सामने आए हैं जिसमें एक पत्रकार जाने-माने प्रतिष्ठित अखबार का पत्रकार है और दूसरा पूर्व में कभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चैनल का प्रतिनिधित्व करता था।अगर पत्रकार ही आवैध कार्यों का ठेका लेने लग जाएं तो समाज में पत्रकारिता की जिम्मेदारी को निभाएगा।

यदि इसी प्रकार आम के बगीचों को अवैध रूप से काटा जाता रहा तो भविष्य में एक भी आम का पेड़ राजधानी देहरादून में देखने को नहीं मिलेगा उद्यान विभाग के अधिकारियों से जब इस बाबत पूछा गया तो उनके द्वारा अनभिज्ञता जताई गई और कार्रवाई करने की बात की गई। अब यहां सवाल यह उठता है कि लगातार आम के बगीचों को काटा जा रहा है निकासी भी हो जाती है और संबंधित विभागों को खबर भी नहीं होती या फिर पत्रकारिता की आड़ में ठेकेदारी कर रहे ठेकेदारों के दबाव के चलते संबंधित विभाग किसी भी तरह की कोई कार्यवाही करने में संकोच करता है। लगातार आम के हरे भरे पेड़ों को काटा जाता है और बाग काटकर अवैध रूप से प्लॉटिंग कर जमीनो को बेच दिया जाता है इसमें उद्यान विभाग जंगलात विभाग और राजस्व विभाग और एमडीडीए विभाग सब मौन रहते हैं यदि कोई मामला उजागर हो जाता है तो संबंधित विभाग खानापूर्ति कर इतिश्री कर लेते हैं।

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