तहसील विकासनगर अंतर्गत कूल्हाल उत्तराखंड हिमाचल बॉर्डर पर पिछले कई दशक से छोटे-मोटे व्यवसाई अपनी दुकानों का संचालन कर अपनी आजीविका चलाकर अपने परिवार को पाल रहे थे इसी बीच उत्तराखंड जल विद्युत निगम द्वारा उन्हें एक नोटिस थमा दिया जाता है जिसमें निगम द्वारा कहा गया कि उक्त भूमि निगम की है इसलिए दुकानों को खाली किया जाए तो सभी दुकानदार माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल की शरण में पहुंचे और जनहित याचिका दायर कर दी जिसमें माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आदेश पारित करते हुए निगम को कानून के अनुसार उक्त प्रकरण पर कार्रवाई के लिए कहा।
दुकानदारों का आरोप है कि वर्तमान अधिशासी अभियंता अभय सिंह द्वारा माननीय न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर कुछ दुकानदारों को चयनित कर उनकी दुकानों का धाव्स्तीकरण की तैयारी कर रहे हैं व अन्य कुछ दुकानदार जिनकी संपत्ति संख्या 72 ख 73ख में है को ना तो नोटिस जारी किए गए और ना ही उन पर कोई कार्यवाही करने का इरादा है वही उक्त दुकानदारों ने बताया कि उनके द्वारा लोक निर्माण विभाग से सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना चाही थी जिसमें लोक निर्माण विभाग द्वारा लिखित जवाब/आदेश में कहा गया कि उक्त भूमि लोक निर्माण विभाग की है ऐसे में सवाल उठता है कि पहले तो यह जांच का विषय है की उक्त भूमि किसकी है।
दुकानदारों का यह भी आरोप है कि जिन लोगों पर साठ गांठ के चलते कार्रवाई नहीं की जा रही है उक्त लोग उत्तराखंड जल विद्युत निगम में ठेकेदार हैं व ऊंची पहुंच वाले रसूखदार व्यक्ति हैं वहीं दूसरा सवाल यह है कि यदि उक्त सभी दुकाने आवैध है तो विभाग कुछ पर कार्रवाई और कुछ का बचाव करके स्वयं अवैध अतिक्रमण करवा रहा है जिसमें मुख्य भूमिका अधिशासी अभियंता अभय सिंह की है उक्त दुकानदारों ने एसडीएम विकासनगर से मुलाकात कर ज्ञापन के माध्यम से कहा कि पहले पूरे प्रकरण की जांच हो जाए भूमि किस विभाग की है यह जांच में स्पष्ट हो जाए फिर यदि कार्रवाई बनती है तो सभी दुकानदारों के साथ एक समान करवाई की जाए उसमें दुकानदार अपना सहयोग करेंगे अब देखना यह है कि विभाग उक्त जांच को किससे करवाता है जिस पर आंच उसी से जांच या फिर किसी अन्य सक्षम निष्पक्ष अधिकारी से उक्त जांच को करवाता है।