इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 12वें महीने यानि जु-अल-हज्जा के दसवें दिन बकरीद का पर्व मनाया जाता है. रमजान के रोजे रखने के बाद पड़ने वाली ईद को जहां लोग मीठी ईद के नाम से जानते हैं तो वहीं बकरीद को कुर्बानी की ईद के नाम से जाना जाता है.
इस्लामिक परंपरा में इसे ईद-उल-अजहा के नाम से जाना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस साल बकरीद का पर्व 29 जून 2023 को पड़ने जा रहा है. इस्लामिक परपरा के अनुसार बकरीद वाले दिन कुर्बानी देने से पहले कुछेक नियमों का पालन करना बेहद जरूरी माना गया है. आइए फर्ज-ए-कुर्बानी के पहले पालन किए जाने वाले इन नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
बकरीद पर कुर्बानी से जुड़ी है ये मान्यता
इस्लामिक मान्यता के अनुसार ईश्वर के दूत माने जाने वाले पैगंबर हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को जब बार-बार अल्लाह के लिए अपने बेटे की कुर्बानी का सपना आने लगा तो उन्होंने यह बात अपने बेटे को बताई. ऐसा सुनते ही उनके बेटे इसे अल्लाह की रजा मानते हुए तुरंत राजी हो गये. मान्यता है कि ईश्वर इस कुर्बानी के जरिए अपने दूत पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम की परीक्षा ले रहे थे. मान्यता है कि जिस समय इब्राहीम अलैहिस्सलाम अपने बेटे को कुर्बान करने चले, उस समय शैतान ने उनके मन को भटकाने की कोशिश की, लेकिन वे जरा भी नहीं डगमगाए और उन्होंने अपनी आंखों में पट्टी बांध कर कुर्बानी की प्रक्रिया पूरी की. मान्यता है कि जब इब्राहीम अलैहिस्सलाम अपने बेटे की कुर्बानी दे रहे थे तभी अल्लाह ने उनके बेटे को हटाकर उसकी जगह एक बकरा रख दिया था. इस्लाम में तब से लेकर आज तक बकरीद पर कुर्बानी देने की परंपरा चली आ रही है.
बकरीद पर कुर्बानी के क्या हैं नियम
-इस्लामिक पररंपरा के अनुसार जु-अल-हज्जा का चांद नजर आ जाने के बाद जिस व्यक्ति को कुर्बानी देनी हो, उसे अपने शरीर के किसी भी हिस्से का बाल और नाखून नहीं कटवाना चाहिए.
-ऐसे में भारत में चांद दिखने के बाद अब कुर्बानी देने वालों को पूरे 10 दिनों तक इस नियम को मानना चाहिए. जिन्हें कुर्बानी नहीं देनी है, वे लोग भी सवाब पाने के लिए इस नियम का पूरी तरह से पालन कर सकते हैं.
-इस्लामिक मान्यता के अनुसार तीन दिनों तक मनाए जाने वाले बकरीद पर्व पर व्यक्ति को कुर्बानी देने से पहले स्नान करना और उसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर नमाज अता करने को जरूरी माना गया है.
-बकरीद पर अपंग या बीमार पशु अथवा जिस जानवर की सींग टूटी हो, उसकी कुर्बानी नहीं दी जा सकती है.
-बकरीद के दिन कुर्बानी के से पहले फितरा निकलाने का नियम है, जिसके तहत आप तकरीबन एक किलो गेहूं या फिर इसके बराबर धनराशि किसी गरीब को दिया जाता है.
-बकरीद वाले दिन जिस बकरे की कुर्बानी दी जाती है उसे पहले पेट भरकर खिलाया-पिलाया जाता है. इसके बाद ही उसकी कुर्बानी दी जाती है.
-कुर्बानी के बाद बकरे के तीन हिस्से में से एक सगे-संबंधियों और दूसरे को गरीबों को देकर तीसरा अपने लिए रखना चाहिए.